नोटबंदी पर कश्मीरी युवक ने लिखा पीएम मोदी को खत...

Webdunia
मंगलवार, 22 नवंबर 2016 (12:43 IST)
नोटबंदी ने देश को लाइन में खड़ा कर दिया। पीएम मोदी के इस फैसले पर हर तरफ पक्ष और विपक्ष में आवाजें बुलंद हुईं। सोशल मीडिया पर एक कश्मीरी युवक का नोटबंदी को लेकर पीएम मोदी के नाम  खत जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें दावा है कि नोटबंदी ने उसकी जिंदगी बदल दी। आप भी पढ़िए यह खत जस का तस और जानिए आखिर कैसे नोटबंदी ने कश्मीरियों की जिंदगी में ला दिया है बेहद बड़ा परिवर्तन। 


 
 
प्रिय पीएम नरेन्द्र मोदी 
 
एक कश्मीरी की जिंदगी के बारे में बाकी का भारत अंदाजा नहीं लगा सकता। कैसे एक आम कश्मीरी, जो अपने परिवार को पालने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है, लगातार अलगाव वादियों और सुरक्षा बलों के बीच पिसता है, हालांकि यह एक बेहद दुखद परिस्थिति है परंतु हमें ऐसे ही जीना है। 
 
मैं एक आम कश्मीरी हूं। मेरा नाम अफज़ल रहमान है और मैं कश्मीर के 2 प्रतिशत अलगाववादियों का हिस्सा नहीं। मैं एक पति, 4 बच्चों का पिता और एक वृद्ध माता-पिता का बेटा हूं और हां मुझे गर्व है कि मैं एक भारतीय और कश्मीरी हूं जो श्रीनगर में कपड़ों की दुकान चलाता हूं। 
 
मैं अपने बच्चों को अच्छी जिंदगी देने के बारे में सोचता हूं। इसलिए, कई धमकियों के बावजूद, मैंने अपने बड़े बेटे को 'पुलिस एडमिशन एक्ज़ाम' में भाग लेने को कहा। मेरी एक बेटी कक्षा 12वीं में पढ़ रही है और मुझे पता है कि यह साल उसके जीवन और करियर में कितना खास है। 
 
पिछले 4 महीने बहुत उतार चढ़ाव वाले रहे। लगभग हर दिन के कर्फ्यू के चलते कोई  व्यापार न हो सका। एक मध्यमवर्गीय परिवार का इंसान इस तरह कैसे जिए? जैसे तैसे मैंने अपने परिवार को पुरानी बचत से पाला है। मेरी बेटी कई दिनों से स्कूल नहीं गई। मेरा बेटा वर्तमान हालात से दिल हार कर बैठा था। उसकी उम्र के बेरोजगार लड़के सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकते थे। उन्हें इसके लिए पैसे मिलते थे। एक बेरोज़गार आदमी अपने परिवार को पालने के लिए कुछ भी कर सकता है। 
 
मेरा अपना बेटा, जो एक पुलिसवाला बनने के सपने देख रहा था, पत्थर फेंकने वालों के साथ शामिल हो गया। मुझे पता तब चला जब उसके हाथ में पैलेट गन वाली गोली लगी। इस दौरान मेरी बेटी का स्कूल भी जला दिया गया। न हम सो पा रहे थे और न मर पा रहे थे, परंतु तभी 8 नवंबर को कश्मीर रेडियो पर आपके द्वार 500/1000 के नोट बंद करने की खबर सुनी। इससे हम और भी डर गए। हमारे पास कुछ जमा पैसे थे जो 500 के नोट में थे। कश्मीरियों के पास बुरे हालातों के चलते नोट बदलवाने का भी रास्ता नहीं था। हमें कभी लगा ही नहीं कि यह फैसला हमें हमारी जिंदगी लौटा देगा। 
 
अब कोई पत्थर फेंकने की हरकत नहीं थी। एक या दो दिन में कश्मीर घाटी में ट्रेफिक चलने लगा। हमनें दुकाने खोलीं, लोग बाजारों में आ रहे थे। हमें अब खुश चेहरे नजर आ रहे थे। देश के अन्य हिस्सों में लोग लाइनों में खड़े होने से खफा हैं परंतु कश्मीरियों के लिए लाइन में खड़ा होना बेहद खुशी का समय है। हम आपस में मिल पा रहे हैं। 
 
मेरी बेटी अपनी परीक्षा देने गई। कई और बच्चे परीक्षा देने गए। इस बार 95 % के साथ सबसे अधिक उपस्थिति का रिकॉर्ड बना। हम लोग साथ बैठकर सुधरी स्थिति पर बात कर पा रहे हैं। मुझे नहीं पता कि सारा देश नोटबंदी को लेकर क्या सोचता है परंतु कश्मीर घाटी में लोग इस फैसले से बेहद खुश हैं। 
 
आपका 
 
अफज़ल रहमान  
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