मध्यप्रदेश समेत देश के 22 राज्यों में शुक्रवार से 10 दिवसीय किसान आंदोलन शुरू हो रहा है। इस दौरान दूध, सब्जी आदि सामग्री गांव से बाहर नहीं आएगी। किसानों की इस हड़ताल को लेकर आम आदमी में दहशत का माहौल है। लोग ने गुरुवार को भी सब्जी की जमकर खरीदारी की।
सरकार ने भी आंदोलन से निपटने के लिए अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर ली है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने गुरुवार रात पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक ली और प्रशासन की तैयारियों का जायजा लिया।
इंदौर में किसान आंदोलन का असर नहीं : किसान आंदोलन के पहले दिन इंदौर में जनजीवन सामान्य रहा। चोइथराम मंडी रोज की तरह चालू रही। वहीं शहर के क्षेत्रों में पुलिस की मौजूदगी में दूध भी आया।
गांव से बेचेंगे सामान : राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने ग्वालियर में कहा कि 1 से 10 जून तक मप्र समेत देश के 22 राज्यों में किसान आंदोलन होगा। इस दौरान गांवों से शहर में फल, सब्जी, दूध नहीं आने देंगे। शहरवासियों के लिए हम गांवों में ही दुकानें, स्टॉल लगाकर फल, सब्जी व दूध बेचेंगे।
आंदोलन शांतिपूर्ण : किसानों का दावा है कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है। इस दौरान दूध, फल, अनाज और सब्जियां गांव से बाहर नहीं आएगी। किसानों को गिरफ्तार किया गया तो जेल भरो आंदोलन छेड़ा जाएगा।
आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन : 6 जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदसौर आ सकते हैं। सरकार का दावा है कि किसान आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है। हालांकि किसान संगठन इस बार को सिरे से खारिज कर रहे हैं।
क्या है आंदोलनकारियों की मांगें :
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सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य दिया जाए।
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फल, सब्जी, दूध के दाम भी लागत के आधार पर डेढ़ गुना समर्थन मूल्य पर तय किए जाएं।
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किसानों का पूरा ऋण माफ हो।
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छोटे किसानों की आय सुनिश्चित की जाए।