बेंगलुरू। कर्नाटक में आज कुमारस्वामी सरकार विधानसभा में विश्वासमत हासिल करेगी। फिलहाल कांग्रेस-जदएस सरकार का भविष्य अधर में लटकता दिखाई दे रहा है हालांकि कांग्रेस के बागी विधायक रामालिंगा रेड्डी ने सरकार के समर्थन का फैसला किया है। अन्य 14 बागी विधायकों के तल्ख तेवर अभी भी नरम नहीं पड़े।
ऐसे में जबकि गठबंधन सरकार जरूरी संख्याबल हासिल करने के प्रयास में थी उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुनाया कि कांग्रेस-जदएस के बागी 15 विधायकों को जारी विधानसभा सत्र की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
अदालत के फैसले को राजनीतिक हलकों में बागी विधायकों के लिए राहत माना गया क्योंकि इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उन्हें एक विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहते हैं या उससे दूर रहना चाहते हैं।
सत्ताधारी गठबंधन ने दलबदल निरोधक कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के प्रावधान का उल्लेख करते हुए बागी विधायकों के खिलाफ व्हिप जारी करने की चेतावनी दी थी। अदालती आदेश के बाद मुम्बई में बागी कांग्रेस-जदएस विधायकों ने कहा कि उनके इस्तीफे या सत्र में हिस्सा लेने को लेकर उनके पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता।
क्या बोले बागी विधायक : कांग्रेस के बागी विधायक बीसी पाटिल ने मीडिया को जारी एक वीडियो में कहा कि हम माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय से खुश हैं, हम उसका सम्मान करते हैं। इससे सत्ताधारी गठबंधन की उन्हें वापस अपने पाले में लाने की उम्मीदें और कम हो गई। पाटिल के साथ कांग्रेस-जदएस के 11 अन्य विधायक भी थे जिन्होंने इस्तीफ दिया है। पाटिल ने कहा कि हम सभी साथ हैं और हमने जो भी निर्णय किया है...किसी भी कीमत पर (इस्तीफों पर) पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता। हम अपने निर्णय पर कायम हैं। विधानसभा जाने का कोई सवाल नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष को भी यह स्वतंत्रता दी कि वह उस समयसीमा के भीतर 15 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करें, जिसे वह उचित मानते हैं।
कांग्रेस के 13 और जदएस के तीन विधायकों सहित कुल 16 विधायकों ने इस्तीफा दिया है। वहीं, दो निर्दलीय विधायकों- आर शंकर तथा एच नागेश ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।
इस बीच कांग्रेस ने 13 विधायकों को अयोग्य ठहराने पर जोर दिया है जिसमें निर्दलीय आर शंकर शामिल हैं जिन्होंने अपनी केपीजेपी का उसके साथ विलय कर लिया था। कांग्रेस के अन्य विधायकों में प्रताप गौड़ा पाटिल, बी सी पाटिल, शिवराम हेबार, एस टी सोमशेखर, बी बसावराज, आनंद सिंह, रोशन बेग, मुनीरत्ना, के सुधाकर और एमटीबी नागराज शामिल हैं।
किसके पक्ष में है नंबर : सदन में सत्ताधारी गठबंधन का संख्याबल 117 हैं, जिसमें कांग्रेस के 78, जदएस के 37, बसपा का एक और एक नामित सदस्य हैं। इसके अलावा विधानसभाध्यक्ष हैं। दो निर्दलीयों के समर्थन से 225 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी भाजपा के पास 107 विधायक हैं। यदि 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन का संख्याबल कम होकर 101 हो जाएगा। इससे 13 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
कांग्रेस नेता एवं मंत्री डी के शिवकुमार ने कहा कि पार्टी सदन में पार्टी के सभी विधायकों की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी कर सकती है और कोई भी उल्लंघन होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने भाजपा के कुछ नेताओं पर इस बारे में गुमराह करने का आरोप लगाया कि व्हिप वैध नहीं है।
रामालिंगा रेड्डी सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे : कर्नाटक में संकट से घिरी गठबंधन सरकार को थोड़ी राहत देते हुए कांग्रेस विधायक रामालिंगा रेड्डी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने विधानसभा से अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला किया है और वह मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा रखे जाने वाले विश्वास मत के समर्थन में मतदान करेंगे। रेड्डी ने बताया कि वह विधानसभा सत्र में शामिल होंगे और कांग्रेस के पक्ष में मतदान करेंगे। उन्होंने साफ कहा कि मैं पार्टी में रहूंगा और विधायक के तौर पर सेवाएं दूंगा।