- कचरा जलाने पर पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने क्यों उठाए सवाल?
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भोपाल की मीडिया ने क्यों लिखा भोपाल जहर से हुआ मुक्त, ली राहत की सांस!
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भंवर सिंह शेखावत ने कहा- उज्जैन में क्यों नहीं जला देते कचरा?
Union Carbide waste will be burnt in Pithampur: भोपाल गैस त्रासदी से निकला यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर इंदौर से लेकर भोपाल तक बवाल मचा है। गुरुवार को यूनियन कार्बाइड का घातक कचरा राजधानी भोपाल से इंदौर के समीप पीथमपुर जलाने के लिए लाया गया। जिसके बाद शुक्रवार को पीथमपुर आम लोगों ने विरोध प्रदर्शन और चक्काजाम किया। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विरोध में चक्काजाम कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। रामकी कंपनी के जिस प्लांट में यह कचरा नष्ट किया जाएगा, वहां से यशवंत सागर का पानी और आसपास की मिट्टी भी प्रभावित होगी। वहीं आसपास कुछ रहवासी इलाके भी हैं।
दरअसल, 40 साल पहले भोपाल गैस त्रासदी में 5 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी। इसी यूनियन कार्बाइड के कचरे को अब इंदौर के समीप पीथमपुर में जलाया जा रहा है। पहले से इंडस्ट्री एरिया की वजह से पीथमपुर और आसपास के इलाके यहां के प्रदूषण और खराब हो चुकी आबोहवा से बेहाल है, ऐसे में भोपाल गैस त्रासदी से निकले यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को यहां जलाने को लेकर चारों तरफ विरोध हो रहा है। यहां तक कि पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत तक ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं।
क्या कहा पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने : लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे का निपटारा वैज्ञानिकों से विस्तृत चर्चा के आधार पर किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आम लोगों के जीवन से जुड़ा मामला है।
उज्जैन में क्यों नहीं जला देते : कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने इसे लेकर बेहद तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि अगर यूनियन कार्बाइड का कचरा इतना ही घातक नहीं है तो फिर इसे उज्जैन में क्यों नहीं जला देते।
कौन देगा इन सवालों के जवाब : दरअसल, भोपाल गैस कांड का कचरा देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से कुछ ही दूरी पर स्थित पीथमपुर में जलाने के कोर्ट के फैसले पर कई सवाल उठ रहे हैं।
सवाल : भोपाल का कचरा इंदौर में क्यों जलाया जा रहा?
सवाल है कि जब यूनियन कार्बाइड का कचरा इतना घातक नहीं है तो फिर इसे भोपाल की बजाए इंदौर के पास पीथमपुर में क्यों जलाया जा रहा है। इस कचरे को वहीं भोपाल में ही जलाकर नष्ट किया जा सकता था।
सवाल : जहर नहीं बचा तो भोपाल से खरोच कर क्यों लाए?
जिम्मेदारों का कहना है कि अब कचरे में यूनियन कार्बाइड का किसी तरह का जहर या खतरा नहीं बचा है। ऐसे में सवाल है कि अगर इस बात में सच्चाई है तो फिर भोपाल से यूनियन कार्बाइड के कचरे को पूरी तरह से खरोच कर क्यों लाया गया।
सवाल : जिन कर्मचारियों ने पैकिंग की उन्हें इतने अहतियात क्यों बरतने पडे?
बता दें कि भोपाल में इस कचरे को पैक कर के कंटेनरों में लादने वाले कर्मचारियों का मेडिकल टेस्ट हुआ। उनके लिए सभी तरह की मेडिकल सुविधाएं वहां उपलब्ध रखी गई। उनका चेकअप किया गया। सवाल है कि कचरा इतना भी असुरक्षित नहीं है तो फिर कर्मचारियों के लिए इतनी सतर्कता क्यों बरती गई।
सवाल : ट्रक ड्राइवर और सहयोगियों के मेडिक्लैम और बीमा की सुविधाएं क्यों की गई?
जिन कंटेनरों में भरकर ये कचरा लाया गया, उन वाहनों के चालक और बाकी सहयोगियों को मेडिक्लैम और बीमा की सुविधाएं दी गईं। जाहिर है कचरे का ट्रांसपोर्टेश एक जोखिमभरा काम है, इसीलिए उन्हें यह सुविधाएं दी गईं।
सवाल : भोपाल की मीडिया में छपी खबरों का क्या है अर्थ?
बता दें कि जब यूनियन कार्बाइड का कचरा ट्रकों में भरकर इंदौर लाया गया, उसके बाद भोपाल की मीडिया में इसे लेकर बेहद सकारात्मक खबरें प्रकाशित हुईं। उन खबरों में कहा गया कि अब भोपाल ने ली राहत की सांस, भोपाल यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे से हुआ मुक्त। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि जिस कचरे को हटाने से भोपाल की जनता ने राहत की सांस ली तो इसका सीधा मतलब है कि यह जोखिम अब इंदौर के सिर पर आ गया है।
पहले परीक्षण हुए फेल, कैसे रिएक्ट करेगा वातावरण : बता दें कि पीथमपुर में स्थित जिस ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फैसिलिटी में इस कचरे को जलाया जाएगा, वहां के इन्सिनरेटर में पहले करीब 6 परीक्षण फेल हो चुके हैं। इतना ही नहीं कई रिपोर्ट और परीक्षणों में पहले ही यहां की उपजाऊ मिट्टी में जहर नदी नालों के पानी में केमिकल की वजह से दूषित होने की बात सामने आ चुकी है। पीथमपुर पहले ही एक औद्योगिक एरिया है, जहां कई कंपनियां और फैक्ट्रियों का काला और जहरीला धुआं और केमिकल निकलता है। ऐसे में यूनियन कर्बाइड का यह वेस्ट जलेगा तो बाकी गैसेस में मिलकर क्या और कैसे रिएक्ट करेगा यह सोचने वाली बात है।
ऐसा था तो गुजरात- महाराष्ट्र ने क्यों किया था मना : अगर इस कचरे के निपटान के इतिहास को खंगाले तो सामने आता है कि साल 2012 में जर्मन की एक कंपनी GIZ यूनियन कार्बाइड कचरे को अपने ही देश जर्मनी में जलाने के लिए तैयार थी। इसके लिए करीब 23 करोड़ की लागत आना थी। लेकिन जानकारों के मुताबिक तब मध्यप्रदेश शासन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। इसके बाद महाराष्ट्र के नागपुर और गुजरात सरकार ने भी इसे अपने स्टेट में जलाने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि यह जहरीला है और आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
कैंसर जनक मर्करी और लेड : कहा जा रहा है कि यूनियन कार्बाइड के इस कचरे में कैंसर पैदा करने वाले मर्करी और लेड जैसे तत्व हो सकते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक इससे बड़ी मात्रा में ऑर्गेनोक्लोरीन निकल सकता हैं, डाइऑक्सिन और फ्यूरान जैसे कार्सिनोजेनिक रसायन उत्पन्न हो सकते हैं, जो लोगों आम लोगों के साथ ही पर्यावरण के लिए बहुत घातक हो सकते हैं।
Report and Edited By : Navin Rangiyal