जम्मू। लद्दाख सीमा पर चीनी सेना के साथ होने वाली बातचीत के कई दौर में कोई खास प्रगति नहीं होने का परिणाम है कि सेना को आशंका है कि उसके जवानों को लगातार चौथी सर्दी भी शून्य से 40 डिग्री नीचे के तापमान में काटने की तैयारी करनी होगी। इसकी पुष्टि सेना की नार्दन कमान के मुखिया ले. जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी की है। नार्दन कमान के सेना कमांडर मानते थे कि चीन सीमा पर लद्दाख के मोर्चे पर हालात तनातनी के हैं और कई स्थानों पर दोनों पक्ष अभी भी आमने-सामने होने के कारण तनाव चरम पर है। वे जम्मू में एक समारोह में बोल रहे थे।
दरअसल, मई 2020 में चीनी सेना द्वारा चीन सीमा पर कई सौ किमी के क्षेत्रफल पर जब्री कब्जा कर लिया गया था और वर्तमान में दोनों पक्षों की ओर से एक-एक लाख सैनिक लद्दाख सीमा पर पिछले चार सालों से तैनात किए गए हैं। इस स्थिति को शांत करने की खातिर दोनों पक्षों में 26 दौर की बात हो चुकी है। इस साल 22 फरवरी को हुई 26वें दौर की बातचीत में भी कोई परिणाम सामने नहीं आया है।
यह सच है कि लद्दाख के मोर्चे की चिंताजनक बात यह है कि भारतीय सेना को एलएसी पर इन सर्दियों में भी टिके रहने के साथ चीन से जंग की तैयारी भी करनी पड़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीनी सेना और चीनी मीडिया की धमकियों के बाद यह संकेत मिलने आरंभ हुए हैं कि दोनों मुल्कों की सेनाओं के बीच एलएसी के विवादित क्षेत्रों में खूरेंजी झड़पें हो सकती हैं। जबकि समाचार यह कहते हैं कि चीन कई मोर्चों पर उलझे होने के कारण लद्दाख सीमा पर अपनी खुन्नस निकाल सकता है।
रक्षा सूत्रों के बकौल, पैंगांग झील, देपसांग, स्पंगुर झील, रेजांगला आदि के एलएसी के इलाकों में भारतीय सेना को युद्ध वाली स्थिति में ही रहने को कहा गया है। उसे अपने सैनिक साजो-सामान को कुछ ही मिनटों के ऑर्डर पर जवाबी हमला करने की स्थिति में भी तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख में एलएसी पर जो इंतजामात किए जा रहे हैं उनमें लगातार चौथे साल भयानक सर्दी से बचने के उपायों के अतिरिक्त ठीक सियाचिन हिमखंड की तरह युद्ध की स्थिति में बचाव और हमले करने की रणनीति अपनाने के लिए जरूरी इंतजाम भी शामिल हैं। जानकारी के लिए पिछले 39 सालों से दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धस्थल पर सियाचिन में शून्य से 40 डिग्री नीचे के तापमान में भी युद्ध जारी है।
अधिकारी कहते थे कि एलएसी पर हालत कितने गंभीर हैं इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले करीब तीन सालों से भयानक सर्दी में टिके रहने की नहीं बल्कि चीन के साथ युद्ध होने की संभावना के मुताबिक ही तैयारियां की जा रही हैं। इसकी खातिर कई बार युद्धाभ्यास भी किए जा चुके हैं।
बर्फ में टिके रहने वाले टेंटों और पहने जाने वाले कपड़ों से अधिक जोर भयानक सर्दी में गर्मी का अहसास देने वाले बम प्रूफ बंकरों को बनाया जा चुका है। इन बंकरों को जमीन के नीचे बनाया गया है ताकि दुश्मन के हमलों से बचा जा सके। खासकर पिल बाक्स और अन्य चौकिओं को दुश्मन की नजर से बचाने का प्रयास किया गया है।
दरअसल एलएसी पर कोई पेड़ पौधे न होने के कारण मोर्चाबंदी में बहुत ज्यादा कठिनाई पेश आ रही है। जबकि उस पार चीनी सैनिक सर्दी में अभी भी अपने आपको अभ्यस्त नहीं कर पाए हैं जिस कारण चीनी सेना गर्मियों में भी अपने सैनिकों को प्रति सप्ताह बदलती रही है जबकि पिछली दो सर्दियों में सैनिकों को प्रतिदिन बदलने का क्रम भी लाल सेना अपना चुकी है। Edited By : Sudhir Sharma