नई दिल्ली। भारत द्वारा सीमावर्ती इलाकों में महत्वपूर्ण पुल निर्माण के बाद चीन की झल्लाहट सामने आई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती इलाकों से जुड़े 44 पुलों का उद्घाटन किया था। इसमें 22 पुल चीन से लगी सीमाओं पर भारतीय सेना के जाने का रास्ता सुगम करेंगे। इन निर्माण पर चीन ने बयान दिया है कि वह लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देता है। वह अरुणाचल प्रदेश को भी भारत का हिस्सा नहीं मानता है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने सीमा पर अधोसंरचना निर्माण को दोनों पक्षों के बीच तनाव का प्रमुख कारण बताया है। झाओ ने कहा कि किसी भी पक्ष को ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे कि तनाव में बढ़े।
तुरंत वापस बुलाए सेना : भारत चीन के पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद को लेकर कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत सोमवार को हुई। यह बैठक 11 घंटे से अधिक चली और फिर सोमवार रात 11:30 मिनट पर समाप्त हुई। यह बैठक सोमवार 12 बजे चुशुल में शुरु हुई थी। बैठक में भारत ने बीजिंग से अप्रैल पूर्व की यथास्थिति बहाल करने और विवाद के सभी बिन्दुओं से चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी करने को कहा।
विवाद बन चुका है चीन का अभियान : सीमा विवाद को लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के बाद चीन भी भारत के साथ सीमा विवाद को इस तरह खड़ा कर रहा है, मानो यह किसी 'अभियान' के तहत किया जा रहा है। भारत और चीन के सैनिकों के बीच 5 महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है। उन्होंने कहा कि इन दोनों देशों से लगती सीमाओं पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
भारत और चीन ने सीमा पर गतिरोध का समाधान करने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर की कई वार्ताएं की हैं, लेकिन तनाव को कम करने को लेकर अब तक कामयाबी नहीं मिली है। सिंह ने कहा कि कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में और सीमा पर तनाव तथा पाकिस्तान एवं चीन द्वारा बनाए गए विवाद के बावजूद, भारत न केवल उनका दृढ़ता से सामना कर रहा है, बल्कि विकास के सभी क्षेत्रों में ऐतिहासिक बदलाव ला रहा है।