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भारतीय इतिहास में सबसे बड़ा होगा LIC का IPO, क्‍यों ला रही सरकार और क्‍या होगा निवेशकों को फायदा?

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नवीन रांगियाल

कोरोना महामारी, लॉकडाउन और देशभर में सबकुछ ठप्‍प। जाहिर है ऐसे में सरकारी खजाने पर भी असर हुआ है। बेरोजगारी और शटडाउन की वजह से अर्थव्‍यवस्‍था भी चरमरा सी गई है।

ऐसे में सरकार इसे दुरुस्‍त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। भारतीय इतिहास में लाया जाने वाला एलआईसी का आईपीओ शायद इसी प्रयास का एक हिस्‍सा है।

दरसअल, एलआईसी के आईपीओ का लोगों को लंबे समय से इंतजार था। अब वो इंतजार खत्‍म हो गया है। अगर सबकुछ ठीक और समय रहा तो इसी वि‍त्‍तीय वर्ष में एलआईसी यानी लाइफ इंश्‍योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडि‍या का आईपीओ आ जाएगा।

विश्‍लेषण और अनुमान बताते हैं कि सरकार एलआईसी में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर इस आईपीओ से 66,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही है। सरकार कि‍तने फीसदी हिस्‍सेदारी बेचेगी, निवेशकों के लिए कितना रिजर्वेशन होगा और सरकार को इससे क्‍या उम्‍मीदें हैं, यह सब जानना अह‍म है।

यह आईपीओ इसलि‍ए भी अहम माना जा रहा है कि भारत के इतिहास का यह‍ सबसे बड़ा आईपीओ होगा।

जानते हैं एलआईसी के इस आईपीओ के बारे में वो सबकुछ जो इसके बारे में जानना जरूरी है।

दरअसल, इस आईपीओ के लिए एलआईसी ने सेबी के पास डीआरएचपी (Draft Red Herring Prospectus) फाइल कर दी है। इसका मतलब है कि इसी साल एलआईसी का आईपीओ आने की पूरी उम्‍मीद है। अब यह जानना बेहद जरूरी होगा कि सरकार कितनी हिस्सेदारी बेचेगी और इससे किसे पैसे मिलेंगे, सरकार को या एलआईसी को?
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सरकार बेचेगी 5 फीसदी हिस्सेदारी
अभी तक जो मीडि‍या रिपोर्ट और दस्तावेज सामने आए हैं, उनके मुताबिक गर्वमेंट इस आईपीओ के जरिए एलआईसी में करीब 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है।

सारा सरकार के खजाने में जाएगा धन
सरकार 6.32 अरब शेयरों में से करीब 31.6 करोड़ इक्विटी शेयर बेचेगी। इसकी फेस वैल्यू 10 रुपये है। इस ओएफएस आईपीओ के जरिए जितना भी धन जुटाया जाएगा, वह सारा सरकार के खजाने में जाएगा ना कि एलआईसी के पास, क्योंकि कंपनी की तरफ से कोई नया शेयर जारी नहीं किया जा रहा है।

किन निवेशकों के लिए कितना रिजर्वेशन?
डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM)  सेक्रेटरी ने अपने एक Tweet में जानकारी दी कि इस आईपीओ के जरिए सरकार करीब 31.6 करोड़ शेयरों की बिक्री करेगी। इनमें से 3.16 करोड़ शेयर उन लोगों के लिए रिजर्व होगा, जिनके पास एलआईसी की कोई पॉलिसी है। यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फोर सेल (OFS) होगा। इसमें एलआईसी का कोई फ्रेश इश्यू (Fresh Issue) नहीं होगा।

आईपीओ ड्राफ्ट के अनुसार, इसमें 50 फीसदी हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (QIB) के लिए रिजर्व रहेगा। मतलब कुल 31,62,49,885 शेयरों में से आधा यानी करीब 15.8 करोड़ शेयर QIB के लिए अलग रखे जाएंगे। वहीं नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के लिए 15 फीसदी शेयर रिजर्व रखे जाएंगे।

प्रस्तावित आईपीओ में एलआईसी के लाखों बीमाधारकों के लिए डिस्काउंट भी ऑफर किया जा सकता है। डिस्काउंट के लिए एलआईसी एक्ट में जरूरी संशोधन किया जा चुका है। इस आईपीओ में एलआईसी के कर्मचारियों के लिए भी कुछ हिस्सा रिजर्व रखा जा सकता है।

आईपीओ से सरकार को बड़ी उम्मीदें
सरकार इस फाइनेंशियल ईयर में विनिवेश के साथ ही फिस्कल डेफिसिट के मोर्चे पर पिछड़ रही है। विनिवेश का टारगेट रिवाइज करने के बाद भी अभी सरकार मीलों दूर है।

पहले 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया गया था। इसे सरकार ने घटाकर 78 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। अभी तक सरकार को विनिवेश से करीब 12 हजार करोड़ रुपये ही मिल पाए हैं। ऐसे में लक्ष्‍य हासिल करने के लिए सरकार की सारी उम्मीदें एलआईसी के इस आईपीओ पर टिकी हैं।

भारतीय इतिहास में सबसे बड़ा IPO
माना जा रहा है कि अब तक के आईपीओ में एलआईसी का यह आईपीओ भारतीय इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ होगा। एलआईसी में अपनी 5 फीसद हिस्सेदारी बेचकर सरकार इस आईपीओ से 66,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है।
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बाजार की हिस्सेदारी सबसे ज्‍यादा
एलआईसी ग्रॉस रिटन प्रीमियम के मामले में भारत में सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है। एलआईसी के पास 64.1 फीसद बाजार हिस्सेदारी है। वहीं, न्यू बिजनस प्रीमियम के मामले में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी 66.2 फीसद है।

लिस्टेड कंपनियों में एलआईसी की सबसे बड़ी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज में 5.98 फीसद है। इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी इंफोसिस में 5.55 फीसद है।

आखि‍र क्‍यों लाया जा रहा LIC IPO?
कोविड महामारी में लगाए गए लॉकडाउन ने पूरे देश को प्रभावित किया है। उद्योगों से लेकर नौकरी और कई तरह‍ के व्‍यापार पर असर हुआ है। सरकारी खजाने पर भी असर हुआ है।

ऐसे में सरकार का मकसद है कि एलआईसी का यह आईपीओ सरकार के निजीकरण से धन जुटाने के प्रयासों में भी मदद कर सकता है। क्‍योंकि सरकार अब तक सिर्फ 120.3 बिलियन रुपए ही इस वित्‍तवर्ष में जुटा पाई है, जबकि‍ उसका लक्ष्‍य 780 बिलियन रुपए जुटाने का था।

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