सिर्फ सोचकर ही कांप जाएंगे आप क्योंकि...

सुरेश एस डुग्गर
शून्य से नीचे के तापमान में भी डटे हैं भारतीय जांबाज सैनिक 
 
कश्मीर के एलओसी इलाकों से। हवा के तूफानी थपेड़े ऐसे की एक पल के लिए खड़ा होना आसान नहीं। तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे। ऊपर से भीषण हिमपात के कारण चारों ओर बर्फ की ऊंची-ऊंची दीवार, लेकिन इन सबके बावजूद दुश्मन से निपटने के लिए खड़े भारतीय जवानों की हिम्मत देख वे पहाड़ भी अपना सिर झुका लेते हैं जिनके सीनों पर वे खड़े होते हैं।
कश्मीर सीमा की एलओसी पर ऐसे दृश्य आम हैं। सिर्फ कश्मीर सीमा पर ही नहीं बल्कि कारगिल तथा सियाचिन हिमखंड में भी ये भारतीय सैनिक अपनी वीरता की दास्तानें लिख रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि वीरता की दास्तानें सिर्फ शत्रु पक्ष को मारकर ही लिखी जाती हैं बल्कि इन क्षेत्रों में प्रकृति पर काबू पाकर भी ऐसी दास्तानें इन जवानों द्वारा लिखी जा रही हैं।
 
अभी तक कश्मीर की कई ऐसी सीमा चौकियां थीं जहां सर्दियों में भारतीय जवानों को उस समय राहत मिल जाती थी जब वे नीचे उतर आते थे। 16 वर्ष पूर्व तक ऐसा ही होता था क्योंकि पाकिस्तानी पक्ष के साथ हुए मौखिक समझौते के अनुरूप कोई भी पक्ष उन सीमा चौकियों पर कब्जा करने का प्रयास नहीं करता था, जो सर्दियों में भयानक मौसम के कारण खाली छोड़ दी जाती रही हैं।
 
लेकिन कारगिल युद्ध के उपरांत ऐसा कुछ नहीं हुआ। नतीजतन भयानक सर्दी के बावजूद भारतीय जवानों को उन सीमा चौकियों पर भी कब्जा बरकरार रखना पड़ रहा है, जो कारगिल युद्ध से पहले तक सर्दियों में खाली कर दी जाती रही हैं तो अब उन्हें कारगिल के बंजर पहाड़ों पर भी पूरे साल चौकसी व सतर्कता बरतने की खातिर चट्टन बनकर तैनात रहना पड़ रहा है और इस बार स्नो सुनामी ने उनकी दिक्कतों तो बढ़ा दिया मगर हौसले को कम नहीं कर पाया।
 
दाद देनी पड़ती है भारतीय जवानों की जो कारगिल तथा कश्मीर के उन पहाड़ों पर अपनी ड्‍यूटी बखूबी निभा रहे हैं, जहां कभी एक सौ तो कभी डेढ़ सौ किमी प्रति घंटा की रफ्तार से बर्फीली हवाएं चलती हैं। ऐसे में भी वे सीना तान पाकिस्तानी जवानों के साथ-साथ प्रकृति की दुश्मनी का भी सामना करते हैं।
 
चौंकाने वाली बात यह है कि भयानक सर्दी तथा खराब मौसम के बावजूद इन क्षेत्रों में टिके हुए जवानों के लिए यह अफसोस की बात हो सकती है कि सर्दी में इन स्थानों पर तैनाती का 16वां वर्ष है और अभी तक वे सहूलियतें भारतीय सेना उन्हें पूरी तरह से मुहैया नहीं करवा पाई है, जिनकी आवश्यकता इन क्षेत्रों में है। हालांकि सियाचिन हिमखंड में यह जरूरतें अवश्य पूरी की जा चुकी हैं।
 
इसके प्रति सेनाधिकारी आप शिकायत करते हैं। कुछ दिन पहले जब इस संवाददता ने इन क्षेत्रों का दौरा किया तो सेना के जवानों को उन कमियों से जूझते हुए देखा गया जिनके लिए आग्रह पिछले कई सालों से लगातार किया जा रहा है। हालांकि सरकार भी मानती है कि कारगिल की चोटियों पर कब्जा बरकरार रखना सियाचिन हिमखंड से अधिक खतरनाक है।
 
इस सच्चाई से कोई अनभिज्ञ नहीं कि कश्मीर, कारगिल तथा सियाचिन हिमखंड जैसे सीमांत क्षेत्रों में पाकिस्तानी सेना भारतीय पक्ष की दुश्मन तो है ही प्रकृति सबसे बड़ी शत्रु के रूप में सामने आती है। मगर इन सब बाधाओं को पार करने वालों का नाम ही भारतीय जवान है।
 
आधिकारिक आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि कश्मीर सीमा तथा सियाचिन हिमखंड पर होने वाली सैनिकों की मौतों में से 97 प्रतिशत के लिए वह प्रकृति जिम्मेदार होती है।
Show comments

जरूर पढ़ें

Apple Event 2024 : 79,900 में iPhone 16 लॉन्च, AI फीचर्स मिलेंगे, एपल ने वॉच 10 सीरीज भी की पेश

जीएसटी परिषद नवंबर में स्वास्थ्य, जीवन बीमा प्रीमियम पर कर की दर में कटौती पर लेगी फैसला

महाराष्ट्र BJP चीफ के बेटे की ऑडी ने कई गाड़ियों को मारी टक्कर, चालक समेत 2 गिरफ्तार

Bihar : झोलाछाप डॉक्‍टर ने की सर्जरी, यूट्यूब पर देखा था वीडियो, किशोर की मौत

हरियाणा में रिश्तों की जंग, कहीं बहन-भाई तो कहीं दादा-पोते के बीच में दिखेगा ‍मुकाबला

सभी देखें

नवीनतम

अमेरिका में राहुल की टिप्पणी पर BJP ने बोला तीखा हमला, भारतीय लोकतंत्र के लिए बताया काला धब्बा

Apple Event 2024 : 79,900 में iPhone 16 लॉन्च, AI फीचर्स मिलेंगे, एपल ने वॉच 10 सीरीज भी की पेश

धर्म के सभी साधन स्वस्थ शरीर से ही संभव : योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ का आदेश, अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं, शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाए

जीएसटी परिषद नवंबर में स्वास्थ्य, जीवन बीमा प्रीमियम पर कर की दर में कटौती पर लेगी फैसला