अबकी बार आर-पार के जोश में हैं जवान

बॉर्डर के हालात पर विशेष रिपोर्ट

सुरेश डुग्गर
चपराल (जम्मू फ्रंटियर)। आर या पार। यह नारा और जोश है उन जवानों में, जो देश की रक्षा करने की खातिर सीमा पर डटे हुए हैं। यही नारा सीमांत गांवों के लोग भी लगा रहे हैं। पाकिस्तान क्या समझता है अपने आपको। इस बार तो हम दुनिया के नक्शे से ही उसका नामोनिशान मिटा देंगे, यह भी लक्ष्य है उन सैनिकों का, जो सीमापार बढ़े पाक सेना के जमावड़े के पश्चात सीमा पर तैनात किए गए हैं।
जम्मू फ्रंटियर की अंतरराष्ट्रीय सीमा की इस चौकी पर एक-दूसरे को ललकारने का कार्य भी जारी है। पाकिस्तानी सीमा चौकी की दूरी मात्र 150 गज। जिस स्थान पर यह संवाददाता खड़ा था उससे जीरो लाइन अर्थात दोनों देशों को बांटने वाली रेखा की दूरी थी मात्र 75 गज। चिल्लाया न जाए तो भी उस आवाज को दुश्मन के सैनिक सुन लेते हैं।
 
अब बहुत हो गया। इस बार तो हमें आर-पार की लड़ाई लड़नी होगी। अगर हम ऐसे ही हिम्मत हारते गए तो जवानों का जोश ठंडा पड़ जाएगा। यही कारण है कि ऊपर के आदेशों के बाद भी हम संयम को कभी-कभी तोड़ देते हैं, चौकी पर तैनात अधिकारी ने कहा था। वह अपनी पहचान गुप्त रखना चाहता था।
 
ऐसी भावना के पीछे के ठोस कारण भी हैं। पाकिस्तान की उकसावे वाली गतिविधियां, सीमापार तैनात जवानों की संख्या में बढ़ोतरी, बख्तरबंद वाहनों, टैंकों के जमावड़े ने परिस्थितियों को भयानक बनाया है। इतना भयानक कि युद्ध का साया सारी सीमा पर मंडराने लगा है। हालांकि इस साए के तले नागरिक भी आ गए हैं, जो सुरक्षित स्थानों पर जान बचाने की दौड़ लगाने को शुरू हो गए हैं।
 
आखिर वे दौड़ लगाए भी क्यों न? घरों के भीतर वे बैठ नहीं सकते, बरामदे में खड़े नहीं हो सकते, खेतों में जा नहीं सकते, क्योंकि वे जानते हैं कि गोलियों की बरसात उन्हें मजबूर कर देगी कि वे अपने उन घरों और गलियों का त्याग कर दें, जहां उन्होंने बचपन गुजारा है।
 
परंतु सैनिकों के लिए ऐसा नहीं है। बंकरों और खंदकों की आड़ में वे पाक गोलियों का जवाब गोलियों से देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अक्सर पाक सेना अंतरराष्ट्रीय सीमा की शांति को मोर्टार के गोलों के धमाकों से भी भंग करती है, परंतु भारतीय पक्ष मोर्टार का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नहीं करता। आखिर क्यों? भारतीय सेना मोर्टार का जवाब मोर्टार से नहीं देती, चपराल के जगतार सिंह ने कहा था।
 
बराबर का जवाब न दे पाने का अफसोस सैनिकों को भी है। अगर दुश्मन एक थप्पड़ मारता है तो हमें उसके बदले चार मारने की इजाजत होनी चाहिए। यही तरीका है शत्रु का हौसला तोड़ने और अपने जवानों का मनोबल बढ़ाने का, बंकर के पीछे एमएमजी को संभालने वाले जवान ने असंतोषभरे शब्दों में कहा था।
 
सच्चाई यह थी कि पाक सैनिक रेंजरों का स्थान ले चुके हैं और वे उकसाने वाली कार्रवाई के तहत भारतीय सैनिक तथा असैनिक ठिकानों पर मोर्टार दाग रहे हैं। यह बात अलग है कि भारतीय पक्ष इस उकसावे में नहीं आता, परंतु मनोबल में कमी आती है इतना जरूर है।
 
चौकी पर तैनात चौकी कमांडर के बकौल पाकिस्तान ने युद्ध के बादलों को सीमा पर मंडराया है तभी तो आए दिन उसके लड़ाकू विमान और मानवरहित विमान सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं। हम उन पर हमले तो करते हैं लेकिन वे बचकर निकल जाते हैं। 
 
वैसे जीरो लाइन से करीब आधा किमी पीछे दोहरी रक्षा खाई के बीच वाले क्षेत्र में पाक सेना और वायुसेना के तथाकथित युद्धाभ्यास पर सैनिक नजरें अवश्य गढ़ाए हुए हैं। नजरें भी ऐसी कि आर-पार के जोश में उनकी दृष्टि कई गुना अधिक हो गई है।
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