घुसपैठ के लिए आतंकी अपना रहे हैं अत्‍याधुनिक तरीके

सुरेश डुग्गर
श्रीनगर। तमाम दावों के बावजूद भारतीय सेना पाक प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। सबसे बड़ा कारण आतंकियों द्वारा अत्याधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल है तो अब उनके द्वारा गाइडों का इस्तेमाल लगभग रोक देने से भी आतंकियों के प्रति अब कोई जानकारी नहीं मिल पा रही।
अगर सेनाधिकारियों तथा कुछ समय पहले सीमा पार से आकर हथियार डालने वाले आतंकियों पर विश्वास करें तो पाक सेना और उसकी खुफिया संस्था एलओसी पर तारबंदी जैसे घुसपैठ रोकने के लिए किए गए उपायों से जरा भी विचलित नहीं हुई हैं क्योंकि उसने कई नए रास्ते और तरीके इसको पार करने के लिए खोज लिए हैं।
 
सबसे बड़ा रास्ता तारबंदी के करंट वाले सर्किट को शार्ट कर उसमें बिजली की सप्लाई तथा अलार्म को रोक देने का है तो दूसरा तारबंदी को पार करने के लिए जहां प्लास्टिक की सीढ़ियां इस्तेमाल की जा रही हैं वहीं रबर के दस्ताने व जूते आतंकियों को करंट से बचा रहे हैं।
 
आतंकियों के रहस्योद्घाटनों के मुताबिक, एलओसी पर की गई तारबंदी में बिजली की करंट दौड़ाने के लिए बिजली की कमी और लगातार जनरेटरों द्वारा जवाब दे जाने की स्थिति का लाभ पाक सेना उठा रही है। अक्सर ऐसा हो रहा है कि बिजली आपूर्ति ठप होने की खबरें उस पार पहुंच रही हैं और फिर घुसपैठियों का जत्था इस ओर बढ़ा चला आता है।
 
और अब आतंकियों द्वारा जो सबसे अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है वह है जीपीएस अर्थात ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम। इस सिस्टम का इस्तेमाल करने पर वे इसलिए मजबूर हुए हैं क्योंकि अभी तक उन्हें घुसपैठ में सहायता करने वाले गाइडों ने उन्हें धोखा देना आरंभ कर दिया था।
 
सेनाधिकारियों के अनुसार, कई गाइडों ने आत्मसमर्पण किया है तो कई अब दोहरा खेल खेलते हुए आतंकियों को फंदे में फंसवाने में सेना की मदद करने लगे तो आतंकियों ने उनका साथ छोड़कर जीपीएस का सहारा लेकर खुद ही घुसपैठ के रास्ते तलाश करने आरंभ कर दिए हैं। जो अब भारतीय सेना के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं।
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