लोकसभा अध्यक्ष की सदस्यों को चेतावनी

Webdunia
बुधवार, 26 नवंबर 2014 (15:26 IST)
नई दिल्ली। विपक्षी सदस्यों द्वारा काले धन के मुद्दे को लेकर मंगलवार को लोकसभा में किए गए हंगामे और नारेबाजी की पृष्ठभूमि में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुधवार को सदस्यों को परोक्ष रूप से कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देने के साथ ही उन्हें सदन के नियमों का पालन करने को कहा।


 
महाजन ने कहा कि सदन के नियम आप लोगों के बनाए हुए हैं। ये सदन आपका अपना है। इसके कुछ तो मायने रखिए। उन्होंने कहा कि अब तो विरोध जताने के लिए सदस्य अनुचित तरीकों और व्यंग्यात्मक टिप्पणी के साथ ही अमर्यादित भाषा का भी इस्तेमाल करने लगे हैं।

उन्होंने सदस्यों को परोक्ष चेतावनी देते हुए एक कहानी का संदर्भ दिया और कहा कि 'डांटने, फटकारने और दुत्कारने वाली मां बच्चों को अच्छी नहीं लगती है, लेकिन समय पर यदि नहीं डांटा जाए तो ऐसे बच्चे बाद में मां का ही कान काटते हैं और कहते हैं कि मां आपने पहले क्यों नहीं समझाया था।'

मंगलवार के हंगामे और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों द्वारा नारे लिखे छाते खोलकर आसन के समक्ष आने की घटना का जिक्र करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि इस अनुचित आचरण का मैं कड़ा विरोध करती हूं।

बीच में तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंधोपाध्याय ने कहा कि पिछली लोकसभा में भी तो तत्कालीन विपक्ष हंगामा और सदन को बाधित करता रहा था। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि बीती बातों में न जाएं और संसद की मार्यादा को बनाए रखने के लिए काम करें। तृणमूल की ही एक अन्य सदस्य ने टिप्पणी की- ‘आपसे (भाजपा) से सीखा, आप हमारे गुरु हैं।'

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि मैं शिष्टाचार के मानदंडों की ओर सदस्यों का ध्यान ले जाना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि सदन के संचालन के कुछ नियम हैं जिनमें नियम 349 के उपबंध 11 और 16 पर सदस्यों ने भी ध्यान दिया होगा। महाजन ने कहा कि नियमों के तहत सदस्य नारेबाजी नहीं कर सकते और न ही प्लेकार्ड, बैनर आदि दिखा सकते हैं।

महाजन ने छात्रों समेत समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के संसदीय कार्यवाही को देखने के लिए सदन की दर्शक दीर्घा में आने का उल्लेख किया और सदस्यों से सदन की गरिमा बनाए रखने को कहा।

हालांकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने दबी आवाज में यह भी कहा कि पिछले 10 साल तक विपक्ष में रहते हुए राजग ने भी तो यही किया था।

गौरतलब है कि अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने छाते लेकर आसन के समक्ष आने के सदस्यों के विरोध के इस तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि हर रोज इस प्रकार के नए तरीके खोज लेना उचित नहीं है और सदस्यों का यह व्यवहार भी आपत्तिजनक है। (भाषा)
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