कश्मीर में 107 दिनों में 12 हजार करोड़ का नुकसान

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 20 नवंबर 2019 (17:18 IST)
जम्मू। वर्ष 2009 में जब 29-30 मई की रात को छोपियां की रहने वाली ननद-भाभी आसिया जान तथा नीलोफर जान के शव मिले थे तो कोई नहीं जानता था कि उनकी मौत के बाद कश्मीर एक नया रिकॉर्ड बनाएगा और वह भी हड़ताल तथा बंद का। कश्मीर में 107 दिनों से जनजीवन अस्त व्यस्त है और इस आंदोलन का नतीजा यह है कि अभी तक अनुमानतः सिर्फ बिजनेस में 12 हजार करोड़ का नुकसान कश्मीरियों को हो चुका है।

तब हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस के आह्वान पर कश्मीर लगातार 60 दिनों तक बंद रहा था और अब 107 दिनों से बंद है। सरकारी दावों के बावजूद सच्चाई यह है कि कश्मीर में 107 दिनों से जनजीवन अस्त व्यस्त है और इस आंदोलन का नतीजा यह है कि अभी तक अनुमानतः सिर्फ बिजनेस में 12 हजार करोड़ का नुकसान कश्मीरियों को हो चुका है। बाकी मदों पर यह कितना है अभी हिसाब ही नहीं लगाया जा सका है।

5 अगस्त को जम्मू कश्मीर के दो टुकड़े कर उसकी पहचान खत्म करने की कवायद के साथ ही यह बंद आरंभ हो गया था। इस बंद के लिए किसी अलगाववादी नेता या फिर हुर्रियती नेताओं ने कोई आह्वान नहीं किया था। हालांकि अब सरकार दावा करती है कि लोगों को इसके लिए आतंकी मजबूर कर रहे हैं।

पर सच्चाई यह है कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के विरोध में यह सब हो रहा है। वैसे किसी ने सोचा नहीं था कि कश्मीर इस तरह से प्रतिक्रिया देगा और आंदोलन चलाएगा। जानकारी के लिए कश्मीरी प्रतिदिन सुबह दो से तीन घंटों के लिए अपने कारोबार को खोलते हैं और फिर शाम को भी दो घंटों के लिए। यह बात अलग है कि इस अवधि को कई पक्ष कश्मीर में स्थिति का सामान्य होना मान लेते हैं।

इस 3 से 4 घंटों के व्यापार के बावजूद कश्मीर को प्रतिदिन लगभग 125 करेाड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है। कश्मीर चैम्बर्स के अध्यक्ष शेख आशिक हुसैन की मानें तो यह नुकसान और भी ज्यादा हो सकता है, जब सभी जिलों से सूचनाएं एकत्र की जाएंगी। दरअसल, कश्मीर में संचार माध्यमों पर अभी भी पाबंदी होने के कारण अभी तक बाकी जिलों व तहसीलों से सूचनाएं एकत्र करना बहुत कठिन कार्य इसलिए भी बन चुका है क्योंकि अभी भी कश्मीरियों के अन्य जिलों में आने-जाने पर अघोषित पाबंदियां हैं। खासकर उन नेताओं और व्यापारियों पर जो अभी जेलों से बाहर हैं।

इन लोगों के मुताबिक, संचार माध्यमों के बंद होने के कारण टूरिज्म इंडस्ट्री को सबसे बड़ा नुकसान इसलिए उठाना पड़ रहा है क्योंकि आज के युग में सब कुछ ऑनलाइन है और कश्मीर की बदकिस्मती यह है कि एसएमएस तक बंद हैं और 33 लाख से अधिक प्री-पेड मोबाइल कनेक्शन घंटी बजने का इंतजार कर रहे हैं। यही नहीं पोस्ट पेड सेवाएं आरंभ करने के साथ ही अधिकारियों ने प्री-पेड को पोस्ट पेड में बदलने की प्रक्रिया पर ही रोक लगा दी थी तो अभी भी 50 फीसदी पोस्टपेड कनेक्शन डेड हैं। 
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