नई दिल्ली। मोदी सरकार को शुक्रवार को संसद में पहली बार विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा। विपक्ष ने इस प्रस्ताव के माध्यम से सरकार को घेरने का पूरा इंतजाम कर रखा है। हालांकि भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल है और इसे देखते हुए सरकार के लिए चिंता की कोई बात नहीं है।
शिवसेना कर सकती है वोटिंग का बहिष्कार : सरकार के पास बहुमत होने के बाद भी सदन में उसकी स्थिति पहले के मुकाबले कमजोर नजर आ रही है। हालांकि टीडीपी ने उसका साथ छोड़ दिया है जबकि शिवसेना भी उसे झटका देते हुए मतदान से खुद को अलग कर सकती है। शिवसेना के लोकसभा में 15 सांसद हैं। कुछ ही देर में शिवसेना नेता संजय राऊत इस संबंध में पार्टी प्रमुख उद्धव से बात करेंगे।
शत्रुघ्न भाजपा के साथ : दूसरी ओर भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि वह इस मुश्किल घड़ी में अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करेंगे। उनके इस ऐलान से भाजपा ने राहत की सांस ली।
अटलजी को 2 बार करना पड़ा था हार का सामना : सत्तारुढ़ दल के रूप में भाजपा का विश्वास मत के दौरान सदन में अनुभव अच्छा नहीं है। 1996 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विश्वास मत से पहले इस्तीफा दे दिया था जबकि 1998 में वह मात्र एक वोट से हार गए थे।
कांग्रेस को सपा, टीडीपी, द्रमुक, राजद, राकांपा, वामदल, झामुमो आदि दलों से काफी उम्मीदें है जबकि बीजद, अन्नाद्रमुक, तेलंगाना राष्ट्र समिति ने इस पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस विपक्ष की लामबंदी से खासी उत्साहित नजर आ रही है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि किसने कहा कि हमारे पास नंबर नहीं है?