किसान आंदोलन : मप्र पुलिस ने बरसाई 80 साल की महिला पर लाठियां...

Webdunia
मंगलवार, 13 जून 2017 (21:43 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस का एक ऐसा चेहरा भी सामने आया है, जिसने पूरे देश का सिर शर्म से झुकाकर रख दिया है। पुलिस की गोली से मारे गए बेकसूर किसान तो स्वर्ग सिधार गए हैं लेकिन इस जुल्म का जो शिकार हुए हैं, वे न्याय की गुहार में आमरण अनशन कर रहे हैं..ऐसी ही कमलाबाई भी हैं, जिन्हें उम्र के 80वें पड़ाव पर तीन पुलिस वालों की लाठियां खानी पड़ीं और हाथ तुड़वा बैठीं। बिस्तर पर बेसुध पड़ी कमला बाई इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की वजह से मंगलवार को पूरे देशभर में सुर्खियों में रही। कमला बाई के साथ जो कुछ हुआ, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है...
इसी महीने की 9 जून को किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी भोपाल-इंदौर को जोड़ने वाले रास्ते पर दशहतगर्दी फैला रहे थे। आंदोलनकारियों ने दर्जनों वाहन फूंक दिए थे और वे पुलिस पर पथराव कर रहे थे। पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और 2 घंटे के बाद स्थिति पर काबू किया। इसके बाद जो कुछ हुआ वह मानवीयता को शर्मसार करने वाला था।
 
पुलिस भोपाल से 20 किलोमीटर दूर फंदाकला गई और उसने कमला बाई के बेटे और चार पोतों को मारना शुरू कर दिया। बीच बचाव में आई 80 साल की बुजुर्ग महिला कमला बाई को तीन पुलिसकर्मियों ने घेरा और लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। यही नहीं, पुलिस ने उनके बेटे और चार पोतों को जेल भिजवा दिया। 
 
पुलिस की पिटाई से कमलाबाई का बायां हाथ टूट गया। मध्यप्रदेश के पुलिसिया जुल्म की शिकार इस बुजुर्ग महिला ने अपने घर में आमरण अनशन शुरू कर दिया। पिछले तीन दिनों से हाथ में पट्‍टा चढ़ाए कमलाबाई बेसुध हैं। उनका कहना था कि जब तक उनके बेटे और चार पोते जेल से छूटकर नहीं आ जाते, तब तक वे अन्न का एक दाना भी नहीं छूएंगी।
 
इस पूरी घटना को खबरिया चैनल एबीपी न्यूज ने कवर किया। जब राष्ट्रीय चैनल पर पुलिस के जुल्म की कहानी सामने आई तो भोपाल के कलेक्टर और एसपी फंदाकला गांव की तरफ दौड़े। एसपी अरविंद सक्सेना के अनुसार हमने उनके परिजनों से आग्रह किया है कि वे पहले उनका इलाज करवाएं, लेकिन कमला बाई जिद पर अड़ी हैं कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता वे अन्न का एक दाना ग्रहण नहीं करेंगी। 
 
80 साल की कमला बाई के पति की उम्र 100 साल हैं। कलेक्टर और एसपी उनसे भी मिले लेकिन उन्होंने भी दोनों को टका-सा जवाब दे दिया। जो मीडिया मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के पांच करोड़ के दो दिनी उपवास को कवर कर रहा था, वह कमला बाई पर हुए जुल्म की कहानी को भी देश के सामने ला रहा है क्योंकि मध्यप्रदेश पुलिस के जुल्म से अभी तक किसी भी पुलिसकर्मी को दंडित नहीं किया गया है।
 
इसी बीच मध्यप्रदेश किसान आंदोलन में मारे गए किसानों को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के उतावलेपन में एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने की घोषणा भी ठंडे बस्ते में जाते हुए दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री ने किसान आंदोलन के दौरान पूरे देश में अब तक के सबसे बड़े मुआवजे की घोषणा करके सुर्खिया तो बटोरीं लेकिन जब देने की बारी आई तो मंदसौर कलेक्टर ने साफ इंकार कर दिया।
 
मंदसौर कलेक्टर का कहना था कि इतनी बड़ी राशि को देने अधिकार उन्हें नहीं हैं और इसके लिए उन्होंने शासन को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री सहायता कोष से आज तक इतनी बड़ी रकम की सहायता कभी किसी को नहीं दी है। वित्त विभाग ने भी कभी 1-1 करोड़ की बंदरबाट नहीं की है...अब देखना दिलचस्प होगा कि 1-1 करोड़ का मुआवजा मध्यप्रदेश शासन किस मद से देता है? कहीं मुख्यमंत्री की यह घोषणा महज घोषणा बनकर न रह जाए... (Photo courtesy: Twitter) 
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