प्रयागराज राज कोर्ट परिसर में आनंद गिरि और आद्या तिवारी के साथ मारपीट

Webdunia
बुधवार, 22 सितम्बर 2021 (17:10 IST)
प्रयागराज। प्रयागराज में आनंदगिरि और आद्या तिवारी के साथ कुछ लोगों ने धक्का-मुक्की की है। टीवी न्यूज खबरों के मुताबिक मुताबिक कोर्ट में पेश किया जा रहा था, तभी 5-6 लोगों ने इनके साथ धक्का-मुक्की की और उन्हें थप्पड़ भी मारे। खबरों के मुताबिक ये लोग प्रयागराज के बताए जा रहे हैं और नरेन्द्र गिरि के समर्थक बताए जा रहे हैं। खबरों के मुताबिक दोनों को किसी प्रकार की कोई हानि नहीं हुई है। 
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प्रयागराज जिला कोर्ट ने महंत नरेन्द्रगिरि की संदिग्ध मौत मामले में आनंदगिरि को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस मामले में आद्या तिवारी को भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
 
महंत मौत मामले में आनंदगिरि, आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को गिरफ्तार किया गया था। नरेन्द्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि आनं‍दगिरि उन्हें ब्लैकमेल करने की योजना बना रहा है।
 
नरेन्द्र गिरी को दी गई भू-समाधि : साधु-संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी को बुधवार को श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी में भू-समाधि दी गई।
 
सुसाइड नोट में उनकी अंतिम इच्छा थी कि समाधि श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी पार्क में नीबू के पेड़ के पास गुरुजी के बगल दी जाए। अखाड़े के बड़े संत और महात्माओं ने उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उसी स्थान पर वेद मंत्रों के साथ सभी 13 अखाडों के बडे संत-महंत और साधु-सतों की उपस्थिति में भू-समाधि दी गई।
 
महंत को 12 फुट के गढ्ढे में तैयार गुप्त द्वारनुमा स्थान में 'सिद्ध योग मुद्रा' में घंटे-घड़ियाल और मंत्रोच्चार के बीच समाधि में बैठाया गया। विभिन्न अखाड़ों के महामंडलेश्वर, आचार्य और बड़े महात्माओं ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि और माल्यार्पण किया। उनके पास उनके नित्य पूजा की अपयोग की सभी वस्तुओं को रखा गया।
 
महंत के भू-समाधि में अखाड़ों के महामंडलेश्वर, आचार्य और बड़े संत महात्माओं ने वैष्णव सम्प्रदाय के परंपराओं को ध्यान में रखकर विधि विधान का पालन करते हुए शंखनाद के बीच क्रमश: पुष्प, नमक, चीनी, घी, दूध, बेलपत्र पंचामृत आदि भू-समाधि डाले गए। एक लंबी प्रक्रिया के बाद अखाड़े से जुडे सभी लोगों ने मिट्टी से गढ्डे को ढ़कने की प्रकिया पूरी की। 
अंत में समाधि स्थल को गोबर से लेपन किया गया। इन सभी कार्यों में करीब दो घंटे का समय लगा। इस दौरान महंत नरेन्द्र गिरी की जय-जयकार की जा रही थी। मंहत नरेन्द्र गिरी के पार्थिव शरीर को जिस स्थान पर भू समाधि दी गई है, उसी स्थान पर एक त्रिशूल गाड़ा जाएगा। एक साल के बाद उस स्थान पर पक्का मंदिर बनाया जाएगा।

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