महाराष्ट्र में शरद पवार बनाम अजीत पवार, विवाद या गेम प्लान?
महाराष्ट्र की बिग इनसाइड स्टोरी
महाराष्ट्र में सत्ता की महाभारत में शह और मात का खेल जारी है। सुप्रीम कोर्ट से भले ही महाराष्ट्र में दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस को तुरंत फ्लोर टेस्ट से फौरी तौर पर थोड़ी राहत मिल गई हो लेकिन पल–पल बदलते समीकरण इस बात का इशारा कर रहे है कि कहीं सरकार बनाने की जल्दी में देवेंद्र फडणवीस और भाजपा चाचा भतीजे के गेम प्लान में फंस तो नहीं गई। महाराष्ट्र की सियासत को जनाने वाले अब भी कह रहे है कि अजित पवार ने जिस तरह रातों रात बगावत की वह क्या असर में बगावत थी या शरद पवार का कोई गेमप्लान।
देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 24 घंटे के अंदर महाराष्ट्र के हालात पूरी तरह बदले हुए दिखाई दे रहे है। शनिवार सुबह आठ बजे डिप्टी सीएम की शपथ लेने वाले अजित पवार जिन विधायकों के अपने साथ होने का दावा कर रहे थे उसमें से अधिकांश विधायक शरद पवार के खेमे में दिखाई दे रहे है, और अब अजित पवार के वापस एनसीपी के खेमे में लौटने की चर्चा तेज होती जा रही है। अजित पवार को वापस पार्टी में लाने का जिम्मा एनसीपी के विधायक दल के नेता जयंत पाटिल ने खुद उठाया है।
इस बीच शरद पवार की शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बातचीत लगातार जारी है। शरद पवार ने शिवसेना और कांग्रेस दोनों को आश्वस्त किया है कि पार्टी में कोई टूट नहीं है। शरद पवार ने पार्टी के पूरी तरह एकजुट करते हुए अपने विधायकों का समर्थन पत्र की जानकारी और जयंत पाटिल के विधायक दल के नेता चुने जाने की जानकारी राजभवन को भेज दी है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के ठीक समय एनसीपी विधायक दल के नेता जयंत पाटिल 51 विधायकों के हस्ताक्षरों वाला पत्र लेकर राजभवन पहुंचे। जयंत पाटिल ने बताया कि राजभवन को जो विधायकों की लिस्ट सौंपी गई है उसमें अजित पवार का नाम भी शामिल है और वह खुद अजित पवार से मुलाकात कर उनको मनाने की कोशिश करेंगे।
बताया जा रहा है कि अजित पवार एनसीपी के कुछ बड़े नेताओं के संपर्क में है और उनको मनाने की कोशिश लगातार जारी है। खबर इस बात की भी हैं कि शरद पवार और सुप्रिया सूले ने अजित पवार के भाई श्रीनिवास से बात कर उनको इस्तीफा देने पर राजी करने की कोशिश में है।
पार्टी के बड़े नेता नवाब मलिक ने अजित पवार के संपर्क में होने के बात कहते हुए कहा कि अगर वह इस्तीफा देकर वापस लौटते है तो पार्टी के रास्ते उनके लिए खुले है।सुप्रीम कोर्ट में रविवार को हुई सुनवाई के बाद मीडिया के सामने आए नवाब मलिक ने भी इस बात के संकेत दिए है कि अजित पवार पार्टी में लौट सकते है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार को अल्पमत वाली सरकार बताते हुए इस्तीफे की मांग कर डाली है।
ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या भाजपा ने बिना किसी तैयारी के महाराष्ट्र में सरकार बनाने में जल्दबाजी दिखाई या वह पवार खेमे के गेमप्लान में फंस गई। भाजपा का समर्थन देने वाले अजित पवार महाराष्ट्र के बहुचर्चित सिंचाई घोटाले और मनीलॉन्ड्रिंग केस में फंसे अजित पवार का समर्थन देना क्या वास्तव चाचा शरद पवार से बगावत है या वह एक गेमप्लान जिसमें भाजपा फंस गई।
अगर महाराष्ट्र की वर्तमान सियासी हालात जैसे दिखाई दे रहे है वैसे ही फ्लोर टेस्ट तक रहे तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बहुमत के लिए 145 विधायकों का जुटाना बहुत नाकों चने चबाना हो जाएगा और पांच साल तक महाराष्ट की सत्ता संभालने वाले देवेंद्र फडणवीस को इस बात का एहसास है तभी वह भाजपा विधायकों और पार्टी के बड़े नेताओं के साथ मिलकर आगे की रणनीति तैयार करने में जुटे है। सवाल यह भी उठ रहा है कि भाजपा ने किस आधार पर अजित पवार के बात पर यकीन कर उनके साथ सरकार बना ली जब वास्तव में कोई भी विधायक अजित पवार के साथ था हीं नहीं।