खराब दाल पर महाराष्ट्र के नेताजी का बवाल, चांटे मार कर किया बेहाल

शिवसेना MLA संजय गायकवाड़ ने कैंटीन कर्मचारी की पिटाई पर कहा, 'मैं कराटे, बॉक्सिंग जानता हूं, यही...'

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 9 जुलाई 2025 (17:12 IST)
तो आकर कैंटीन का खाना खाए : बुलढाना से विधायक गायकवाड़ ने कहा कि गंदा खाना दिया और उनके मैनेजर ने माना कि खराब खाना दिया इसलिए मैंने मारा। मैंने गलत नहीं किया। मेरा साथ लोग दे रहे हैं। जो नेता मेरा साथ नहीं दे रहे हैं, वो अपने बंगले का खाना की जगह कैंटीन में आकर खाना खाएं। संजय गायकवाड़ ने कहा, ''मैंने कल खाना मंगवाया था विधायक हॉस्टल की कैंटीन से। दाल चावल और सब्जी। जिसमें सब्जी को जब मैंने चावल पर डाला तो मुझे बेहद खट्टा लगा। मुझे लगा मैंने शायद नींबू डाल दिया, लेकिन सब्जी में नींबू डालने का प्रश्न ही नहीं उठता। तो मैंने दोबारा टेस्ट किया तो भयंकर बदबू आई। एकदम बासी खाना मुझे दिया गया। पहले भी मैंने इन कैंटीन वालों को समझाया, लेकिन ये गंदा बदबूदार खाना देने के लिए बाध्य है, ऐसा लगता है''

मैंने सही पिटाई की : महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने कैंटीन कर्मचारी की पिटाई को सही बताया है। उन्होंने कहा कि मैं कराटे, जूडो, बॉक्सिंग जानता हूं। यही भाषा आती है। गायकवाड़ दुर्गंध आती दाल-चावल लेकर विधानसभा भी पहुंचे। उन्होंने कहा, ''हम मुंबई से अपने गांव विधानसभा क्षेत्र में जाते हैं तो यही कैंटीन का खाना गाड़ी में ले जाते है। पहले भी मुझे कई बार ऐसी बदबू आई और लगा कि शायद गाड़ी में रखा था, इसलिए खराब हो गया, लेकिन अभी तो ताजा मंगवाया और उसमें ये हालत. इसलिए मैंने इस कैंटीन वाले को मारा और अपनी भाषा में समझाया''

क्‍या कहा गायकवाड़ ने : खाने की खराब क्वालिटी को लेकर एक कैंटीन स्टाफ को थप्पड़ मारने की खबर पर शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने कहा, "मैं 30 साल से आकाशवाणी कैंटीन आ रहा हूं और साढ़े पांच साल से यहां रह रहा हूं। मैंने कई बार इन्हें समझाया कि खाना अच्छा दिया करो। अंडे 15 दिन पुराने, नॉन-वेज 15-20 दिन पुराने, सब्ज़ियां 2-4 दिन पुरानी... यहां लगभग 5,000-10,000 लोग खाना खाते हैं, और सबकी यही शिकायत है। किसी के खाने में छिपकली निकलती है, तो किसी के खाने में चूहा निकलता है। मैंने कल रात 10 बजे खाना ऑर्डर किया और पहला निवाला खाते ही मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है... मैं नीचे गया और मैनेजर से पूछा कि ये खाना किसने दिया है। मैंने सबको खाना सुंघाया, और सबको खाना खराब लगा। मैंने उन्हें फिर समझाया कि अच्छा खाना दिया करो, आप लोगों की जान के साथ खेल रहे हैं... हर भाषा में समझाने के बाद भी अगर ये लोग नहीं सुधरते तो मुझे अपने अंदाज में बात करनी पड़ेगी
Edited By: Navin Rangiyal

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