मालेगांव विस्फोट मामले में बरी की गईं भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शनिवार को आरोप लगाया कि जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया था और उनसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई लोगों के नाम लेने को कहा था। ऐसा पहली बार है जब ठाकुर ने यह सनसनीखेज दावा किया है, जिसका एनआईए की विशेष अदालत के 1036 पृष्ठों के फैसले में कोई उल्लेख नहीं है।
विशेष अदालत ने मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था। एक विशेष अदालत ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को 31 जुलाई को बरी करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं।
ठाकुर शनिवार को कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सत्र अदालत में पेश हुईं। अदालत के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने दावा किया कि पूछताछ के दौरान उन्हें प्रताड़ित किया गया था। विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने फैसले में ठाकुर के यातना और दुर्व्यवहार के दावों को खारिज कर दिया है।
ठाकुर ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने (अधिकारियों ने) मुझे प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेने को कहा, क्योंकि उस समय मैं सूरत (गुजरात) में रह रही थी। भागवत (आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का स्पष्ट संदर्भ) जैसे कई नाम हैं, लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया, क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलना चाहती थी। ठाकुर ने दावा किया कि उन्होंने यह सब लिखित में दिया था।
ठाकुर ने कहा कि उनका उद्देश्य मुझे प्रताड़ित करना था। उन्होंने कहा कि अगर मैंने नाम नहीं लिए, तो वे मुझे प्रताड़ित करेंगे। इन नामों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सुदर्शन जी, इंद्रेश जी, राम जी माधव और कई अन्य शामिल हैं, जिनके नाम मुझे अभी याद नहीं आ रहे हैं।
भाजपा की पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि उन्हें अस्पताल में भी अवैध रूप से हिरासत में रखा गया, जहां वह बेहोश हो गईं और उनके फेफड़े खराब हो गए। ठाकुर ने कहा कि मैं अपनी कहानी लिख रही हूं, जिसमें ये सब लिखूंगी। सच सामने आएगा। यह धर्म की विजय है, सनातन धर्म की विजय है, हिंदुत्व की विजय है...यह सनातनी राष्ट्र है, और यह सदैव विजयी होता है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ठाकुर ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था, लेकिन उनके दावों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया गया। इसने 2011 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया गया, जिसमें अवैध हिरासत, यातना और हिरासत के उनके दावों को खारिज कर दिया गया था। निचली अदालत ने कहा कि ठाकुर ने नासिक की अदालत में कोई शिकायत नहीं की थी जब उन्हें गिरफ्तारी के बाद रिमांड के लिए पेश किया गया था।
न्यायाधीश लाहोटी ने कहा कि मेरे संज्ञान में कोई सबूत (यातना और दुर्व्यवहार का) नहीं लाया गया है और इसलिए मैं इस दलील को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं हूं। इस बीच, ठाकुर ने कहा कि उनके खिलाफ पूरा मामला निराधार है।
उन्होंने महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को एक दुष्ट व्यक्ति बताया। उन्होंने आरोप लगाया, कि सिंह, (तत्कालीन एटीएस प्रमुख) हेमंत करकरे और सुखविंदर सिंह ने मुझे प्रताड़ित किया और मुझसे झूठ बोलने को कहा। लेकिन मैंने इनकार कर दिया। महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 घायल हो गये थे। भाषा Edited by : Sudhir Sharma