सफेद साड़ी और हवाई चप्पल पहनने वाली ममता बनर्जी तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। 2011 के चुनावों में वामपंथियों का 34 साल पुराना 'किला' ढहाने वाली ममता बनर्जी को मात देने के लिए भाजपा ने इस बार एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था।
बंगाल में भाजपा 2016 से बेहतर प्रदर्शन करने में तो सफल रही, लेकिन यह इतना भी अच्छा नहीं कि वह अपनी पीठ ठोंक सके। तृणमूल को हराने के लिए भाजपा जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर बड़े नेता-मंत्रियों तक ने धुआंधार प्रचार किया, वहीं ममता अपने भतीजे के साथ रण में अकेली डटी रहीं। पूरे चुनावी कैंपेन में ममता मोदी और उनकी दिग्गजों से सजी टीम सीधी टक्कर देते नजर आईं।
ममता भाजपा के चक्रव्यूह को भेदने में सफल साबित हुईं। इस जीत से ममता का कद निश्चित ही राष्ट्रीय पटल पर बढ़ेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी दिशाहीन हो चुके विपक्ष का बड़ा चेहरा भी बन सकती हैं। पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने विपक्ष के 15 नेताओं को विपक्ष की एकता मजबूत करने के लिए चिट्ठी लिखी थी।
ममता बनर्जी ने कहा था कि लोकतंत्र और संविधान पर बीजेपी के कथित हमले के खिलाफ एकजुट और प्रभावी संघर्ष का समय आ गया है। भाजपा ममता सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण, घुसपैठ, भ्रष्टाचार, तोलेबाजी जैसे आरोप लगाकर हमलावर थी, लेकिन बंगाल की जनता ने ममता को बहुमत देकर तमाम आरोपों को नकार दिया।
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर जब सरकार बनाई थी उस समय विपक्ष के सारे प्रमुख नेता एक मंच पर इकट्ठा हुए थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सारे विपक्षी नेता बिखर गए थे।
5 मई लेंगी मुख्यमंत्री पद की शपथ : तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की संभावना है। पार्टी नेता पार्थ चटर्जी ने दल के नवनिर्वाचित विधानसभा सदस्यों की बैठक के बाद बताया कि सभी नए चुने गए विधायकों को प्रोटेम स्पीकर विमान बनर्जी शपथ दिलाएंगे। बैठक की अध्यक्षता तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने की।