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Farmers Protest : किसानों और सरकार के बीच बातचीत बेनतीजा, अगली बैठक 3 दिसंबर को

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, बुधवार, 2 दिसंबर 2020 (01:05 IST)
नई दिल्ली। 3 केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही। देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक समिति गठित करने की सरकार की पेशकश को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया। हालांकि दोनों पक्ष गुरुवार को फिर से बैठक को लेकर सहमत हुए हैं। दोनों पक्षों में करीब 3 घंटे बातचीत हुई। सरकार की ओर से कानूनों को निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया गया।
सरकार ने किसान संगठनों को नए कानूनों को लेकर उनकी आपत्तियों को उजागर करने तथा गुरुवार को होने वाले वार्ता के अगले दौर से पहले बुधवार को सौंपने को कहा है।  किसान संगठनों ने कहा कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं, तब तक देशभर में आंदोलन तेज किया जाएगा। बैठक में 35 किसान नेताओं ने भाग लिया। किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका विरोध प्रदर्शन 6ठे दिन भी जारी रहा।
बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि वार्ता अनिर्णायक रही और सरकार का प्रस्ताव किसान संगठनों को स्वीकार्य नहीं है।  बयान में कहा गया है कि किसान नेताओं ने आपत्तियों पर गौर करने और उनकी चिंताओं का अध्ययन करने के लिए 5 सदस्यीय समिति बनाने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। किसान नेताओं का कहना है कि ऐसी समितियों ने अतीत में भी कोई नतीजा नहीं निकाला है। सितंबर में लागू किए गए इन कानूनों के बारे में सरकार का पक्ष है कि यह बिचौलियों को हटाकर किसानों को देश में कहीं भी अपनी ऊपज बेचने की छूट देता है और यह कृषि क्षेत्र से जुड़ा बड़ा सुधार है। 
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हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों की आशंका है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीद प्रणाली व्यवस्था को खत्म कर देंगे और कृषि क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के लिए कमाई सुनिश्चित करने वाली मंडी व्यवस्था को निष्प्रभावी बना देंगे। सरकार की तरफ से वार्ता की अगुवाई कर रहे कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उन्होंने विस्तृत चर्चा की और अगली बैठक 3 दिसंबर को फिर से शुरू होगी।  तोमर ने बैठक के बाद कहा कि हमने उन्हें एक छोटे आकार की समिति बनाने का सुझाव दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे सभी बैठक में मौजूद रहेंगे। इसलिए हम इस पर सहमत हुए।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रियों का विचार था कि इतने बड़े समूहों के साथ बातचीत करते हुए किसी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल है और इसलिए उन्होंने एक छोटे समूह के साथ बैठक करने का सुझाव दिया, लेकिन किसान नेता दृढ़ थे कि वे सामूहिक रूप से ही मिलेंगे।  यूनियन नेताओं ने कहा कि उन्हें आशंका है कि सरकार उनकी एकता और उनके विरोध की गति को तोड़ने की कोशिश कर सकती है।
 
बीकेयू (दाकौंडा) भटिंडा जिला अध्यक्ष बलदेव सिंह ने कहा कि सरकार ने हमें बेहतर चर्चा के लिए एक छोटी समिति बनाने के लिए 5-7 सदस्यों के नाम देने के लिए कहा कि लेकिन हमने इसे अस्वीकार कर दिया। हमने कहा कि हम सभी उपस्थित रहेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बातचीत के लिए एक छोटे समूह के लिए जोर दे रही है, क्योंकि वे हमें विभाजित करना चाहते हैं। हम सरकार की चालों से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं।
 
सरकार की तरफ से बैठक में रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी शामिल हुए। किसान नेताओं ने 3 केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने और विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 को वापस लेने की अपनी मांगों पर जोर दिया। हालांकि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रतिनिधियों के साथ कृषि मंत्रालय में शाम को बैठक का एक और दौर चला, जहां 3 कृषि कानूनों के अलावा अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। यह बैठक विज्ञान भवन में एक बहुत बड़े समूह के साथ पहली बैठक के खत्म होने के तुरंत बाद हुई।
पहले हुई बैठक में किसान प्रतिनिधिगण तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग के बारे में एकमत थे जिन कानूनों को उन्होंने कृषक समुदाय के हित के खिलाफ करार दिया। प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा।
 
हालांकि सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरुआत होगी।  बीकेयू प्रमुख राकेश टिकैत और अन्य यूनियन नेताओं के साथ बैठक के बाद तोमर ने कहा कि उन्होंने चर्चा के लिए समय मांगा था।
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तोमर ने कहा कि हमने बीकेयू के साथ सफल और विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कानूनों के साथ-साथ अन्य कृषि मुद्दों पर भी चर्चा की। हमने उनसे कहा है कि वे कृषि कानूनों के बारे में अपनी चिंताओं को लिखित रूप में प्रस्तुत करें, हम उन पर भी गौर करेंगे। टिकैत ने कहा कि हमारी अच्छी चर्चा हुई। हमारी मांगें अन्य 35 किसान यूनियनों की तरह ही हैं। सरकार 2 दिनों के बाद हमारे साथ फिर से चर्चा करेगी।
 
विज्ञान भवन में 35 किसान यूनियनों के साथ की बैठक के बारे में तोमर ने कहा कि हमने अच्छी चर्चा की। हमने किसान यूनियनों से कहा कि कानूनों को खंडवार चर्चा करने के लिए एक छोटा समूह बनाना बेहतर होगा। लेकिन वे सभी प्रतिनिधियों के साथ ही चर्चा चाहते थे। उन्होंने कहा कि सरकार को इससे कोई समस्या नहीं है। हम पहले चर्चा के लिए तैयार थे, अब भी हम तैयार हैं और हम भविष्य में भी तैयार रहेंगे। इसलिए 3 दिसंबर को हम चौथे दौर की वार्ता करेंगे।
 
इससे पूर्व 13 नवंबर को पिछली बैठक भी अनिर्णायक रही थी जबकि कृषि नेता अक्टूबर की पहली बैठक से यह विरोध करते हुए बाहर चले गए थे कि बैठक में कोई केंद्रीय मंत्री उपस्थित नहीं है। तीसरी बैठक मूल रूप से 3 दिसंबर के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन यह दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध के कारण पहले ही कर ली गई।
 
बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, तोमर और गोयल, भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के साथ केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श हुआ। यह पूछने पर कि सरकार भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रमुख राकेश टिकैत के साथ एक अलग चर्चा क्यों कर रही है, तोमर ने कहा कि वे हमारे पास आए हैं इसलिए हम उनके साथ भी चर्चा कर रहे हैं। हम सभी किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। यह पूछे जाने पर कि गतिरोध कब समाप्त होगा? उन्होंने कहा कि यह समय तय करेगा।
 
प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने पर जोर दिए जाने के बारे में तोमर ने कहा कि हमने उन्हें कानूनों में आपत्ति वाले विशिष्ट पहलु सामने लाने को कहा है और हम उनकी चिंताओं पर चर्चा करने और उन्हें संबोधित करने के लिए तैयार हैं। बाद में एक बयान में कृषि मंत्रालय ने कहा कि बैठक में यह आश्वासन दिया गया था कि केंद्र हमेशा किसानों के हित की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और हमेशा किसानों के कल्याण पर चर्चा के लिए खुले मन से तैयार है। (भाषा)

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