नई दिल्ली। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती नहीं होने की सूरत में भारत में 2050 तक करीब 3.6 करोड़ लोगों के हर साल बाढ़ की चपेट में आने का खतरा होगा।
एक नए अध्ययन में ऐसा कहा गया है जिसमें हमारे जीवनकाल में शहरों, अर्थव्यवस्थाओं और तटरेखाओं को नए आकार में ढाल सकने के जलवायु परिवर्तन के सामर्थ्य को दर्शाया गया है। इसमें आगाह किया गया है कि सन् 2100 तक समुद्र में जलस्तर बढ़ने के कारण 4.4 करोड़ लोगों के हर साल बाढ़ की चपेट में आने का जोखिम होगा।
अमेरिकी एनजीओ 'क्लाइमेट सेंट्रल' की तरफ से किए गए इस अध्ययन में कहा गया कि 6 एशियाई देशों- भारत, चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और थाईलैंड में 2050 तक हर साल तटीय बाढ़ आने का खतरा होगा।
एनजीओ ने एक बयान में कहा कि ये परिणाम क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा विकसित नए डिजिटल एलिवेशन मॉडल 'कोस्टल डीईएम' पर आधारित हैं। अध्ययन में कहा गया कि 2100 तक 2 और देश जापान और फिलीपींस में भी हर साल ज्वार बाढ़ आ सकती है, जहां 2.2 करोड़ लोगों के इसके जद में आने का खतरा होगा।