पाक के खिलाफ भारत का मास्टरस्ट्रोक!

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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों तक पहुंचने के लिए भारत सरकार ने वहां के नागरिकों के लिए एक अद्‍भुत योजना की घोषणा की है। पिछले बुधवार को सरकार ने घोषणा की है जो लोग सीमापार की गोलीबारी या बारूदी सुरंग के विस्फोटों का शिकार हुए हैं, पाक अधिकृत कश्मीर के ऐसे लोगों को सरकार पांच लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने को तैयार है। 
 

दिल्ली में पीएमओ में राज्यमंत्री जितेन्द्रसिंह ने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सीमापार की गोलीबारी, बारूदी सुरंग विस्फोटों के शिकार लोगों की दीर्घकालिक मांग को स्वीकार करते हुए पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को भी क्षतिपूर्ति देना स्वीकार कर लिया है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रहने वाले लोगों को यह राशि मिल सकती है अगर पाकिस्तान उन तक यह राशि स्वीकार करने की अनुमति दे।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय क्षेत्र में आतंकवादी, सांप्रदायिक, वामपंथी अतिवाद, सीमा पार की गोलीबारी और बारूदी सुरंग या आईइडी विस्फोटों के शिकार लोगों को तीन लाख से लेकर 5 लाख रुपए तक की क्षतिपूर्ति को स्वीकृति दी। 12 अगस्त को कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक में मोदीजी ने कहा कि जब हम जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं तो इसका अर्थ होता है कि हम जम्मू-कश्मीर के चारों हिस्सों की बात करें। इनमें जम्मू, कश्मीर घाटी, लद्‍दाख और पाक अधिकृत कश्मीर शामिल है।
 
उन्होंने विदेशी मामलों के भारतीय मंत्रालय से आग्रह किया कि वे पाक अधिकृत कश्मीर के नागरिकों से भी सम्पर्क करें जो‍ कि पाकिस्तान से बाहर रहते हैं। ऐसे लोगों के बारे में जानकारी हासिल करें जो कि पाक अधिकृत में खराब हालातों में रह रहे हैं और ऐसे लोगों के बारे में दुनिया को अवगत कराएं। पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर पाकिस्तान को सुई चुभाने का एक और कदम है और सरकार का कहना है कि लम्बे समय से चल रही हिंसा पूरी तरह से पाकिस्तान प्रायोजित है।  
 
विदित हो कि नियंत्रण रेखा की 770 किमी लम्बाई और करीब 220 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 1990 के बाद से बारंबार युद्धविराम का उल्लंघन होता रहा है और आतंकवादियों की घुसपैठ होती रही है। गोलाबारी और सीमापार से हो रही फायरिंग के चलते प्रतिवर्ष कम से कम 50 नागरिकों की मौत होती है। 2015 के बाद से अब तक 13 हजार 921 नागरिकों की मौत हुई है।  
 
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में 22 जिले हैं जिनमें से केवल पांच जिले ऐसे हैं जिनमें अलगाववादियों का असर है और इनमें ही आम लोगों और सुरक्षा बलों पर हमले किए जाते हैं। इन पांच जिलों के नाम हैं- श्रीनगर, अनंतनाग, बारामुला, कुलगाम और पुलवामा। राज्य के 17 जिलों के लोग भारत समर्थक हैं। केवल 15 फीसदी जनसंख्या पर अलगाववादियों का दबदबा है और इनमें भी सुन्नी मुस्लिमों की संख्या अधिक है।
 
इस संदर्भ में उल्लेखनीय बात यह है कि ये सभी पांच जिले पाकिस्तान की सीमा या वास्तविक नियंत्रण रेखा से बहुत दूर हैं। जम्मू कश्मीर की भारत समर्थक 85 फीसदी आबादी में चौदह से अधिक धार्मिक, प्रजातीय गुटों के लोग शामिल हैं।
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