50th anniversary of Emergency: पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) को निशाने पर लेते हुए कहा कि आपातकाल से लड़ने में मोदी की भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के समय मोदी गुजरात में प्रचारक थे, जहां आपातकाल का असर कम था। आपातकाल ट्विटर पर ब्लैक डे के नाम से ट्रेंड भी हो रहा है।
क्या कहा स्वामी ने : स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि 1975 में जब आपातकाल लगा था तब मोदी गुजरात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक थे। उस समय राज्य में मुख्यमंत्री बाबूभाई पटेल के नेतृत्व वाली जनता मोर्चा की सरकार थी। इसके चलते गुजरात के ज्यादातर हिस्से में आपातकाल का असर नहीं था। उन्होंने कहा कि मोदी की एक बुरी आदत है, जब उन्हें किसी चीज का क्रेडिट नहीं मिलता तो वे श्रेय लेने की कोशिश करते हैं।
कब लगा था आपातकाल : उल्लेखनीय है कि जून 1975 से मार्च 1976 तक बाबू भाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री थे और राज्य में जनता मोर्चा की मिलीजुली सरकार थी। बाबू भाई 11 अप्रैल 1977 से 17 फरवरी, 1980 तक दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। देश में 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल लगाया गया था।
आपातकाल पर क्या कहा पीएम मोदी ने : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि आज का दिन (25 जून, 1977) उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया। आपातकाल के काले दिन हमें याद दिलाते हैं कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रता को नष्ट कर दिया और भारत के संविधान को कुचल दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।
मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया वह आज भी उसी पार्टी में जीवित है, जिसने इसे लगाया था। वे अपनी प्रतीकात्मकता के माध्यम से संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को छिपाते हैं, लेकिन भारत के लोगों ने उनकी हरकतों को देख लिया है और यही कारण है कि उन्होंने उन्हें बार-बार खारिज कर दिया है।
कौन हैं सुब्रमण्यम स्वामी : भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वामी की गिनती पीएम मोदी के मुखर आलोचकों में होती है। एक बार स्वामी ने कहा था कि मैं भाजपा का हिस्सा हूं, मैं लंबे समय से पार्टी के साथ हूं। मुझे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी दिक्कत थी, लेकिन उनसे इतनी समस्या नहीं थी, जितनी कि पीएम नरेंद्र मोदी से है। स्वामी भाजपा सरकार के कामकाज पर हमेशा सवाल उठाते रहे हैं। वे अर्थशास्त्री होने के साथ कानूनविद भी हैं। 1977 में जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे स्वामी 6 बार सांसद रह चुके हैं। वे विराट हिन्दुस्तान संगम के अध्यक्ष भी हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala