नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 28वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि आजादी के लिए हमारा आंदोलन और हमारा इतिहास मानवाधिकारों की प्रेरणा का तथा मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत है।
उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकारों के नाम पर कुछ लोग देश की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं और हमें इसके प्रति सचेत रहने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि जब गरीब लोगों को शौचालय, रसोई गैस जैसी बुनियादी जरूरतें मुहैया कराईं, इससे भी उनमें अधिकारों के बारे में जागरूकता उत्पन्न हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानवाधिकारों को राजनीतिक लाभ-हानि की दृष्टि से देखना, इन अधिकारों के साथ-साथ लोकतंत्र को भी हानि पहुंचाता है। मानवाधिकारों के नाम पर कुछ लोग देश की छवि खराब करने की कोशिश करते हैं, हमें इसके प्रति सचेत रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर अपने भाषण में सरकार के महिला समर्थक कदमों जैसे 'तीन तलाक' के खिलाफ कानून, 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश आदि का हवाला भी दिया। मानवाधिकार संरक्षण कानून, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ की गई थी। एनएचआरसी मानवाधिकारों के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, जांच करता है और सार्वजनिक प्राधिकारों द्वारा पीड़ितों को दिए जाने के लिए मुआवजे की सिफारिश करता है।