मोहन भागवत का बड़ा बयान, भारत एक 'हिंदू राष्ट्र', हिंदुत्व देश की पहचान का सार

Webdunia
रविवार, 25 अक्टूबर 2020 (14:24 IST)
नागपुर। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक 'हिंदू राष्ट्र' है और हिंदुत्व देश की पहचान का सार है।

ALSO READ: दशहरे पर मोहन भागवत ने दिया खास संदेश, कोरोना, चीन, अयोध्या और सीएए को लेकर क्या कहा...
भागवत ने कहा, 'हिंदुत्व इस राष्ट्र की पहचान का सार है। हम स्पष्ट रूप से देश की पहचान को हिंदू मानते हैं क्योंकि हमारी सभी सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाएं इसी के सिद्धांतों से चलती हैं।'

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ‘हिन्दुत्व’ ऐसा शब्द है, जिसके अर्थ को धर्म से जोड़कर संकुचित किया गया है। संघ की भाषा में उस संकुचित अर्थ में उसका प्रयोग नहीं होता।

भागवत ने कहा कि यह शब्द अपने देश की पहचान, अध्यात्म आधारित उसकी परंपरा के सनातन सत्य तथा समस्त मूल्य सम्पदा के साथ अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है।

संघ प्रमुख ने कहा कि संघ मानता है कि ‘हिंदुत्व’ शब्द भारतवर्ष को अपना मानने वाले, उसकी संस्कृति के वैश्विक व सर्वकालिक मूल्यों को आचरण में उतारना चाहने वाले तथा यशस्वी रूप में ऐसा करके दिखाने वाली उसकी पूर्वज परम्परा का गौरव मन में रखने वाले सभी 130 करोड़ समाज बन्धुओं पर लागू होता है।

उन्होंने कहा कि ‘हिंदू’ शब्द के विस्मरण से हमको एकात्मता के सूत्र में पिरोकर देश व समाज से बाँधने वाला बंधन ढीला होता है।

भागवत ने कहा, 'इसीलिए इस देश व समाज को तोड़ना चाहने वाले, हमें आपस में लड़ाना चाहने वाले, इस शब्द को, जेा सबको जोड़ता है, अपने तिरस्कार व टीका टिप्पणी का पहला लक्ष्य बनाते हैं।'

संघ प्रमुख ने कहा कि “राजनीतिक स्वार्थ, कट्टरपन व अलगाव की भावना, भारत के प्रति शत्रुता तथा जागतिक वर्चस्व की महत्वाकांक्षा, इनका एक अजीब सम्मिश्रण भारत की राष्ट्रीय एकात्मता के विरुद्ध काम कर रहा है।”

उन्होंने कहा, ‘हिन्दू’ किसी पंथ, सम्प्रदाय का नाम नहीं है, किसी एक प्रांत का अपना उपजाया हुआ शब्द नहीं है, किसी एक जाति की बपौती नहीं है, किसी एक भाषा का पुरस्कार करने वाला शब्द नहीं है।

उन्होंने कहा कि ‘हिन्दू’ शब्द की भावना की परिधि में आने व रहने के लिए किसी को अपनी पूजा, प्रान्त, भाषा आदि कोई भी विशेषता छोड़नी नहीं पड़ती। केवल अपना ही वर्चस्व स्थापित करने की इच्छा छोड़नी पड़ती है। स्वयं के मन से अलगाववादी भावना को समाप्त करना पड़ता है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

लालू यादव पर उनके साले का बड़ा आरोप, अपहरण के बाद CM आवास में होता था सेटलमेंट

क्या दिल्ली में होंगे 2 डिप्टी CM, खत्म हुआ सस्पेंस, BJP की ओर से आया बड़ा अपडेट

gold rate : क्या ऐसे ही बढ़ते रहेंगे सोने के दाम, कीमत कब तक 1 लाख तक पहुंचने के आसार, आखिर क्यों आ रही है तेजी

Instagram और WhatsApp यूजर्स के लिए आई बड़ी खुशखबरी

वक्फ बिल पर JPC रिपोर्ट संसद में पेश, पर्सनल लॉ बोर्ड की चेतावनी- पारित हुआ तो आंदोलन, क्या बोले विपक्षी नेता

सभी देखें

नवीनतम

ट्रंप का पीएम मोदी को फ्री हैंड, बांग्लादेश के खिलाफ क्या एक्शन लेगी सरकार?

CRPF अधिकारी ने बताया, अब क्यों नहीं हो सकेंगे पुलवामा जैसे हमले?

Weather Update: उत्‍तराखंड और जम्‍मू कश्‍मीर में बर्फबारी जारी, तापमान में आएगी गिरावट

दोस्त ट्रंप ने मोदी के साथ की बड़ी डील, भारत को मिलेंगे F 35 लड़ाकू विमान

LIVE: डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद भारत रवाना हुए पीएम मोदी

अगला लेख