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कश्मीर में अब हाइब्रिड आतंकी बने खतरा, अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात होंगी 500 कंपनियां

हमें फॉलो करें कश्मीर में अब हाइब्रिड आतंकी बने खतरा, अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात होंगी 500 कंपनियां

सुरेश एस डुग्गर

, शनिवार, 4 जून 2022 (00:18 IST)
जम्मू। ताबड़तोड़ टारगेट किलिंग के मामलों के बाद कश्मीर में सबसे बड़ी चिंता का विषय अमरनाथ यात्रा बन गई है। इस महीने की 30 तारीख को आरंभ होने जा रही इस यात्रा की सकुशलता प्रशासन और सेना के लिए अहम सवाल इसलिए बन गया है क्योंकि खुफिया रिपोर्ट कहती हैं कि हाइब्रिड आतंकी और पत्थरबाज दक्षिण कश्मीर की ओर कूच कर चुके हैं।

हालांकि केंद्र सरकार ने अब केंद्रीय सुरक्षाबलों की 500 से ज्यादा कंपनिया अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर देना मान लिया है, सेना भी अपने करीब 50 हजार जवानों को बाहरी सुरक्षा घेरे के लिए लिए देने को तैयार हो गई है, जबकि पुलिस भी अपने 30 हजार से अधिक प्रशिक्षु जवान व अफसरों को सुरक्षा के लिए तैनात करने की तैयारियों में जुट गई है।

पर इन सबके बावजूद सुरक्षाधिकारी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त इसलिए नजर नहीं आते थे क्योंकि हाइब्रिड आतंकियों के सहारे पाकिस्तान परस्त आतंकी कहीं भी मार करने की क्षमता में बढ़ोतरी कर चुके थे। कल राजस्थान निवासी बैंक मैनेजर की हत्या में भी ऐसे ही एक हाइब्रिड आतंकी की संलिप्तता पाए जाने के बाद सुरक्षाबलों के लिए हाइब्रिड आतंकी चुनौती बनने लगे हैं।

अगर अधिकारियों पर विश्वास करें तो पाकिस्तान इस बार हाइब्रिड आतंकियों के साथ ही पत्थरबाजों के सहारे अमरनाथ यात्रा में कुछ बड़ा करने की योजनाओं को मूर्तरूप दे सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय में हुई बैठकों के दौर के बाद आतंकियों को अमरनाथ श्रद्धालुओं से परे रखने की खातिर दक्षिण कश्मीर के जिलों में स्थानीय निवासियों की आवाजाही पर रोक लगाने के अतिरिक्त संदिग्ध पत्थरबाजों को जेलों में ठूंस देने के निर्देश भी दिए गए हैं।

एनएसजी कमांडो और ड्रोन के साए तले चलेगी अमरनाथ यात्रा : इस बार की अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरा किस हद तक मंडरा रहा है इसी से साबित होता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम खुद सुरक्षा प्रबंधों को जांचने के लिए कश्मीर में ही तब तक रहेगी जब तक यात्रा संपन्न नहीं हो जाती और यह खतरा कितना है अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहली बार अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों की सुरक्षा की खातिर एनएसजी कमांडो तैनात किए जाएंगे तथा बड़ी संख्या में ड्रोन की सहायता ली जाएगी।

30 जून (जिस दिन हिमलिंग के प्रथम दर्शन होंगे) से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम को कश्मीर में डेरा डालने के निर्देश गृहमंत्री द्वारा दिए गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, अमरनाथ यात्रा के दौरान संभावित आतंकी हमले को देखते हुए केंद्र सरकार ने एनएसजी कमांडो की कई टुकड़ियों को कश्मीर में तैनात करने का फैसला लिया है। श्रीनगर शहर के अलावा दक्षिण कश्मीर में भी इन जवानों को तैनात किया जाएगा। सुरक्षा कारणों से इनकी लोकेशन को गुप्त रखा गया है।

यह सच है कि अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित संपन्न करवाने के लिए सुरक्षाबलों ने रणनीति तैयार कर ली है। यात्रा मार्ग पर स्थित आधार शिविरों के अलावा 300 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर मल्टी टीयर सुरक्षा बंदोबस्त रहेंगे। सुरक्षा के पहले घेरे में केंद्रीय रिजर्व पुलिसबल (सीआरपीएफ), सशस्त्र सीमा बल, बार्डर सिक्योरिटी फोर्स के जवान तैनात रहेंगे और सेना के जवान बाहरी सुरक्षा घेरे को मजबूती प्रदान करेंगे।

इस वर्ष अमरनाथ यात्रियों के वाहनों पर नजर रखने के लिए उन्हें जीपीएस तथा आरएफआईडी तकनीक से लैस किया जा रहा है। सीआरपीएफ के जवान जीपीएस तकनीक का संचालन करेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग तथा आधार शिविरों पर शरारती तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सैकड़ों ड्रोनों की मदद ली जाएगी।

दूसरे घेरे में राज्य पुलिस, जबकि तीसरे में सेना के जवान तैनात रहेंगे। आतंकी हमले या फिर आपदा के दौरान सेना के जवान तीसरे घेरे से निकलकर सुरक्षा के पहले घेरे की कमान संभाल लेंगे। इस वर्ष आतंकी हमले के खतरे को गंभीरता से लेते हुए अमरनाथ यात्रा के दौरान 60 हजार पुलिसकर्मियों समेत लाखों अर्द्ध सैनिक बल तथा सेना के जवान तैनात होंगे।

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