मुंबई। मुंबई में 10 साल पहले हुए आतंकी हमले के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर आतंकवादी अजमल कसाब की करीब से तस्वीर लेने वाले फोटो पत्रकार का आरोप है कि रेलवे स्टेशन पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने कसाब और उसके साथी को भागने दिया।
26 नवंबर 2008 की रात को जब आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया तो गोलीबारी की आवाज सुनकर सेबेस्टियन डिसूजा रेलवे स्टेशन के नजदीक अपने दफ्तर से अपना निकोन कैमरा और लेंस लेकर निकल पड़े।
मीडिया क्षेत्र में ‘सेबी’ नाम से जाने जाने वाले डिसूजा की तस्वीरों और उनकी गवाही ने 26/11 के मुकदमे में अहम भूमिका निभाई। इसी मुकदमे के बाद कसाब को 2012 में फांसी पर लटकाया गया था।
सेबी ने कहा, 'रेलवे स्टेशन पर तैनात पुलिसकर्मियों ने स्टेशन पर ही कसाब और अन्य आतंकवादी को मार दिया होता तो कई जानों को बचाया जा सकता था।'
26/11 का हमला भारत की धरती पर सबसे भीषण हमलों से एक है। 10 साल पहले भारी हथियारों से लैस 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई शहर में तबाही मचाई थी जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे।
वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त हो चुके और फिर गोवा में बस गए सेबी का आरोप है, 'रेलवे स्टेशन के नजदीक पुलिस की दो बटालियनें मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।' एके-47 राइफल थामे कसाब की नजदीक से फोटो खीचने के लिए सेबी (67) को वर्ल्ड प्रेस फोटो पुरस्कार मिला था।
उन्होंने कहा, 'मैं प्लेटफॉर्म पर मौजूद ट्रेन के एक डिब्बे में दौड़ कर गया और फोटो लेने की कोशिश की, लेकिन मुझे अच्छा एंगल नहीं मिला तो दूसरे डिब्बे में गया और आतंकवादियों के आने का इंतजार किया। मेरे पास कुछ फोटो लेने के लिए थोड़ा ही वक्त था। मेरे ख्याल से उन्होंने मुझे फोटो लेते हुए देख भी लिया था, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया।'