मुंबई में 4 मंजिला इमारत गिरी, 11 की मौत

Webdunia
मंगलवार, 16 जुलाई 2019 (20:25 IST)
मुंबई। महाराष्ट्र आवासीय एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएचएडीए) ने मंगलवार शाम को दावा किया कि दक्षिणी मुंबई के डोंगरी क्षेत्र में जो चार मंजिला इमारत दिन में गिरी है, वह अनाधिकृत थी। ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस दुर्घटना में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है। बचाव कार्य अभी जारी है और बहुत से लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है।
 
स्थानीय निकाय के अधिकारियों ने बताया कि दक्षिणी मुम्बई में डोंगरी इलाके की एक संकरी गली में चार मंजिला रिहायशी इमारत दोपहर से पहले गिर गई। मलबे में अब भी 40 से अधिक लोग फंसे हैं। इससे पहले महाराष्ट्र के आवास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया था कि प्राथमिक सूचना के अनुसार इस हादसे में 12 लोगों की मौत हुई है।
 
बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि टांडेल मार्ग पर 'कौसरबाग' बिल्डिंग गिरने से नौ लोग घायल भी हुए हैं।
 
मुंबई के मेयर विश्वनाथ महादेश्वर ने कहा कि उन्होंने नगर आयुक्त को मामले की जांच शुरू करने को कहा है। टीवी पर बचावकर्मियों द्वारा एक बच्चे को मलबे से बाहर निकालते हुए दिखाया गया। अधिकारियों ने बताया कि बच्चा जीवित है।
 
एक अधिकारी ने बताया कि बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) ने इमामबाड़ा नगरपालिका उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय में आश्रयस्थल बनाया है।
 
मौके पर पहुंचे मुम्बादेवी के विधायक अमीन पटेल का कहना है कि बचाव कार्य में मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम मौके पर पहुंच रही है। हमारा अंदाजा है कि मलबे में अभी भी 10-12 परिवार फंसे हुए हैं।
 
100 साल पुरानी थी बिल्डिंग : मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि इमारत करीब 100 साल पुरानी है लेकिन वह खस्ताहाल इमारतों की सूची में नहीं थी, उसे पुन:विकास के लिए डेवेलपर को दिया गया था। इस बिल्डिंग में 10-15 परिवार रह रहे थे।
 
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इमारत महाराष्ट्र आवास एवं विकास प्राधिकरण (म्हाडा) की थी। हालांकि म्हाडा के मरम्मत बोर्ड के प्रमुख विनोद घोसालकर का कहना है कि इमारत संस्था की नहीं थी।
 
विधायक भाई जगताप ने कहा कि कुछ बाशिंदों ने आवास प्राधिकरण से शीघ्र कदम उठाने की अपील की थी क्योंकि यह बिल्डिंग बहुत पुरानी थी और लंबे समय से जर्जर दशा में थी। वैसे इस बिल्डिंग के गिरने के बाद भी इसके कुछ हिस्से खड़े हैं।
 
एक अधिकारी ने कहा कि इस साल करीब 500 इमारतें जर्जर घोषित की गई थी लेकिन उनमें से केवल 68 को ही खाली कराया गया।
 
दमकल विभाग, मुंबई पुलिस और निकाय अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं लेकिन संकरी गलियों के कारण राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में जुटे हैं और मलबा हटाने में मदद कर रहे हैं।
 
भीड़भाड़ वाला इलाका होने के कारण एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंच पायी, उसे घटनास्थल से 50 मीटर की दूरी पर खड़ा करना पड़ा।
 
पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कहा, 'यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर साल मानसून के दौरान कुछ ऐसा हो जाता है। दीवारें ढह जाती हैं, सड़कों में गड्ढ़ें हैं जहां लोग मरते है और किशोर मेनहोल में गिर जाते हैं।' उन्होंने कहा कि मुम्बई वासी बार बार होने वाली ऐसी समस्याओं के लिए सरकार से स्पष्टीकरण मांगे।
 
संकरी गलियों की वजह से बचाव काम में तो पहले से ही बाधा आई। उस पर मंत्रियों, विधायकों, विपक्षी नेताओं आदि के पहुंचने से उसमें देरी भी हुई।
 
मुस्लिम बाहुल्य इस इलाके में दुर्घटनास्थल पर स्थानीय लोग और वहां पहुंचे अन्य लोग बचावकर्मियों की मदद करते हुए नजर आए। वहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। महानगरपालिका आयुक्त प्रवीण परदेशी और पुलिस आयुक्त संजय बारवे हादसा स्थल का मुआयना करने गए थे।

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