क्यों है योगी-मोदी का दबदबा कायम, UP में MY फैक्टर ने कैसे बचाया भाजपा का गुरूर जानिए 6 बातें

संदीपसिंह सिसोदिया
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से MY फैक्टर गेमचेंजर रहा। दिलचस्प बात यह है कि इस बार यह फैक्टर समाजवादी पार्टी का 'मुस्लिम-यादव' न होकर भाजपा के लिए 'मैजिक फैक्टर' साबित हुआ। इसकी बदौलत भाजपा ने चुनौतियों के बीच उप्र में न सिर्फ अपनी साख बचाई बल्कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का दबदबा भी कायम रहा।  
 
इसका पूरा श्रेय जाता है भाजपा के एमवाय (MY) फैक्टर को यानी मोदी-योगी की जोड़ी को। डबल इंजिन की सरकार की ताकत के आगे तमाम मुद्दे गौण रहे और एक बार फिर से भारतीय राजनीति के सबसे बड़े केंद्र उप्र में भाजपा मंहगाई, बेरोजगारी, कोरोना और किसानों के असंतोष जैसी बड़ी चुनौतियों से पार पाने में सफल रही।  
 
आइए जानते हैं आखिर कैसे चला MY का जादू उत्तर प्रदेश में- 
 
ब्रांड मोदी : रूस यूक्रेन युद्ध और युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों की सकुशल घर-वापसी के लिए चलाए गए ऑपरेशन गंगा से उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद के अंतिम तीन चरणों में भाजपा को काफी लाभ मिला। यही नहीं अपने 4 मंत्रियों को छात्रों को यूक्रेन से निकालने के लिए भेज दिया तथा रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से लगातार बातचीत और वैश्विक स्तर पर मोदी का मजबूत कद लोगों को अपील कर गया।
 
इसके अलावा अयोध्या से लेकर काशी में मोदी ने लगभग 19 जनसभाएं करके करीब 192 सीटों पर प्रचार किया जो भाजपा को बढ़त दिलाने में कारगर रहा। यही नहीं 3 तलाक और महिलाओं के हित के लिए प्रचारित कई योजनाओं ने भी 'मोदी मैजिक' और बढ़ाया तथा आधी आबादी के वोट दिलाने में मदद की। 
 
बुलडोजर वाले बाबा : भले ही किसान आंदोलन और महंगाई के फैक्टर ने भाजपा को चिंता में डाल दिया हो, लेकिन योगी ने रैलियों में बुलडोजर की बात कर बुलडोजर को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रतीक बना दिया। योगी के शासन में दंगे भी नहीं के बराबर हुए। 
 
सपा के राज में होने वाली गुंडागर्दी की याद दिलाकर योगी ने महिलाओं की सुरक्षा का कई बार उल्लेख किया। बेहतर कानून-व्यवस्था और सख्त प्रशासन ने उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में महिलाओं के वोट ने भाजपा की भरपाई कर दी। 
 
राम और राशन : ऐसा लग रहा है कि लोगों को अयोध्या में राममंदिर शिलान्यास और काशी कॉरिडोर जैसे कामों से योगी पर भरोसा बढ़ा। राम मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर भाजपा को हिन्दुत्व का चेहरा और मजबूत करने वाले साबित हुए। 
 
मुफ्त राशन जैसी योजनाओं का काफी असर रहा, लोग लाभार्थी स्कीमों के फायदों से ज्यादा खुश रहे। किसान सम्मान निधि से मिलने वाले पैसों और मुफ्त राशन ने बहुत हद तक डैमेज कंट्रोल कर लिया। प्रदेश के करोड़ों लाभार्थियों को महीने में दो बार अनाज-तेल के साथ नमक भी दिया गया। 
 
काम आई किसानों से माफी : विवादित कृषि कानून वापस लेकर मोदी ने किसानों से माफी मांगकर उप्र में होने वाले नुकसान को कम कर दिया। इसी तरह किसान नेताओं ने पंजाब में अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का फैसला किया जिससे अकाली और कांग्रेस को नुकसान हुआ। 
 
किसान आंदोलन की वजह से पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट-मुसलमान एकता की बात तो बहुत हुई लेकिन वो वोटों की शक्ल नहीं ले पाई। इसके उलट भाजपा ने मुजफ्फरपुर मामले को हवा देकर हिन्दू वोटों का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण कर दिया। 
 
बसपा का साइलेंट सपोर्ट : भाजपा की बड़ी जीत का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है भाजपा को बसपा का अघोषित साथ। बसपा ने 156 सीटों पर ऐसे उम्मीदवार खड़े किए, जो सपा के उम्मीदवार की ही जाति के थे। इनमें 91 मुस्लिम बहुल, 15 यादव बहुत सीटें थीं। 
 
ये ऐसी सीटें थीं, जिसमें सपा की जीत की प्रबल संभावना थी। यही नहीं भाजपा के उम्मीदवारों के सामने भी हल्के उम्मीदवार उतारना भी मायावती द्वारा अमित शाह को मौन समर्थन देना ही माना जा रहा है। इस वजह से दलित वोट पहली बार बसपा से भाजपा में शिफ्ट हुए। इसका फायदा भाजपा को होता दिख रहा है
हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण : पूरे चुनाव प्रचार में मोदी-योगी ने हिन्दुत्व का दामन थामे रखा। पहले चरण में ही अमित शाह ने कैराना में रैली निकाल पलायन का मुद्दा उठाया था। अयोध्या, काशी के बाद मथुरा पर दिए गए बयानों से भी हिन्दू वोट भाजपा के पक्ष में एकजुट हुए। इसी तरह हिंदुत्व के ही मुद्दे पर बसपा का कोर हिन्दू दलित वोट बैंक इस बार बड़ी संख्या में भाजपा में शिफ्ट हो गया। 

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