कर्नाटक विधानसभा में भाजपा के येदियुरप्पा कल यानी शनिवार को बहुमत हासिल कर पाएंगे या नहीं, यह तो उसी समय पता चलेगा, लेकिन राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक बयान भारी पड़ गया, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा की तारीफ की थी।
दरअसल, मोदी ने अपने चुनाव प्रचार के पहले ही दिन जदएस अध्यक्ष देवेगौड़ा की तारीफों के पुल बांध दिए थे। उन्होंने पूरे समय कांग्रेस को ही निशाने पर लिया था। मोदी ने कहा था कि देवेगौड़ा सम्मानित और कद्दावर नेता हैं, मेरे मन में उनके प्रति भारी सम्मान है। हालांकि मोदी का मकसद एक तीर से दो निशाने साधने का था। एक तो वे कांग्रेस को अलग-थलग करना चाहते थे, वहीं त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जदएस से गठजोड़ करने की जुगत में भी थे।
मोदी की इस तारीफ का जवाब देवेगौड़ा ने भी तारीफ से ही दिया। उन्होंने कहा कि मोदी जहां भी जाते हैं, उस राज्य के मर्म को समझते हैं और वहीं की बातें करते हैं। इस बार भी उन्होंने कर्नाटक के संदर्भ में ही बात की। लेकिन, हाथोंहाथ उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी चुनाव के बाद भाजपा से गठजोड़ नहीं करेगी।
माना जा रहा है कि मोदी के बयान के बाद वर्ग विशेष के लोग सतर्क हो गए और जो लोग जदएस को वोट देना चाहते थे, वे वोट भी कांग्रेस के पक्ष में डल गए। इससे असर यह हुआ कि कांग्रेस की सीटें बढ़ गईं। यदि यही वोट जदएस को पड़ते तो कांग्रेस की सीटें कम हो सकती थीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के करीब दो दर्जन मुस्लिम संगठनों ने धर्म के नाम पर अपने समुदाय से खुलकर कांग्रेस के पक्ष में वोट देने को कहा था।
दरअसल, मोदी का यह बयान कर्नाटक में भाजपा के लिए भारी साबित हुआ। वर्ग विशेष के लोग नहीं चाहते थे कि भाजपा प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी रूप में सत्ता में आए। खैर, कर्नाटक की इस महाभारत का परिणाम क्या होगा यह शनिवार को सदन में शक्ति परीक्षण से लग जाएगा। अगर भाजपा बहुमत साबित कर देती है तो मोदी की एक बार फिर बल्ले बल्ले हो जाएगी।