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मोदी सरकार ने चार साल में बांटे दस करोड़ एलपीजी कनेक्शन

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, सोमवार, 28 मई 2018 (18:03 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि पिछले 4 साल में 10 करोड़ एलपीजी कनेक्शन बांटे गए। इनमें 4 करोड़ कनेक्शन गरीब महिलाओं को मुफ्त में दिए गए जबकि आजादी के बाद के 6 दशकों में मात्र 13 करोड़ कनेक्शन ही बांटे गए। 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' की लाभार्थी महिलाओं से वीडियो कांफ्रेंस में बातचीत के दौरान मोदी ने यह बात कही।
 
 
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने महिलाओं और बच्चों को रसोई के धुएं से बचाने के प्रयास तेज किए हैं। इस दौरान अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने भी अपनी मां को रसोई में चूल्हे में लकड़ी और गोबर के उपलों से उठने वाले धुएं के साथ संघर्ष करते देखा है। आने वाले भविष्य में वह स्वच्छ ईंधन को 100% घरों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
 
मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 तक केवल 13 करोड़ एलपीजी कनेक्शन बांटे गए थे। यह भी अधिकतर अमीर या सक्षम लोगों को दिए गए। पिछले 4 साल में हमने 10 करोड़ नए एलपीजी (रसोई गैस) कनेक्शन बांटे हैं। वह भी अधिकतर गरीब लोगों को। 'उज्ज्वला योजना' ने गरीब, हाशिए पर रहने को मजबूर, दलित और आदिवासी समुदाय को मजबूती प्रदान की है। सामाजिक सशक्तीकरण में इस पहल की केंद्रीय भूमिका है।
 
गौरतलब है कि मई 2016 में शुरू की गई 'उज्ज्वला योजना' का लक्ष्य अगले 3 सालों में 5 करोड़ लोगों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देना है। विशेषकर ऐसी महिलाओं या परिवारों को जो बेहद गरीब हैं। इसका मकसद लकड़ी और गोबर के उपलों जैसे प्रदूषणकारी ईंधन के उपयोग को कम करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 13 लाख असमय मौत इसकी वजह से होती हैं। इस साल इस लक्ष्य को संशोधित कर 10 करोड़ कर दिया गया और वक्त को भी 2 साल और बढ़ा दिया गया।
 
मार्च 2019 तक भारत अपने 80% परिवारों में तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के उपयोग को सुनिश्चित करना चाहता है। 2017 में यह 72.8% था, हालांकि प्रधानमंत्री ने 100% के लक्ष्य तक पहुंचने की कोई तिथि नहीं बताई। मोदी ने कहा कि एलपीजी सर्वसुलभ और सबसे साफ ऊर्जा का स्रोत है। यह महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली देता है, उनका समय बचाता है और वित्तीय तौर पर उनकी मदद करता है। साथ ही पर्यावरण को बचाने में भी मदद करता है। उन्होंने कहा कि 'उज्ज्वला योजना' के तहत बांटे गए 4 करोड़ कनेक्शनों में से करीब 45% दलितों को दिए गए।
 
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार दलितों के सशक्तीकरण के लिए मजबूती से खड़ी है। 2014 से अब तक 1,200 पेट्रोल पंपों का आवंटन दलित परिवारों को किया गया जबकि पिछली संप्रग सरकार में 2010 से 2014 के बीच केवल 445 पेट्रोल पंपों का आवंटन ही ऐसे परिवारों को किया गया। ठीक इसी प्रकार एलपीजी वितरक का लाइसेंस भी उनके कार्यकाल में 1,300 परिवारों को दिया गया है जबकि पहले के सालों में यह संख्या मात्र 900 थी। उनकी सरकार दलालों को हटाने के प्रति गंभीर है इसलिए लाभार्थियों की सूची को पारदर्शी बनाया गया है। 
 
सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (एसईसीसी) के तहत शामिल किए गए लोगों के अलावा अब 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' का लाभ अनुसूचित जाति-जनजाति और अति पिछड़ा वर्ग के सभी परिवारों, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों, वनवासियों, नदी किनारे और नदी द्वीप पर रहने वाले लोगों इत्यादि सभी लोगों को मिलना है। 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार इस साल 1 लाख एलपीजी पंचायतों का लक्ष्य लेकर चल रही है ताकि एलपीजी सिलेंडरों को दुबारा भरवाने के उपभोग में तेजी ला सके। 'उज्ज्वला योजना' के तहत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की रसोई गैस कंपनियों को प्रत्येक कनेक्शन पर 1,600 रुपए की सब्सिडी देती है ताकि गरीब ग्रामीण परिवार को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सके। इस सब्सिडी में सरकार सिलेंडर की जमानत राशि और उसे लगाने के खर्च का भुगतान करती है। लाभार्थी को खुद से एक गैस स्टोव और सिलेंडर में गैस रीफिल का भुगतान करना होता है। लाभार्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए गैस स्टोव और रीफिल का भुगतान किस्तों में करने की सुविधा भी इस योजना के तहत दी गई है।
 
विभिन्न राज्यों की लाभार्थी महिलाओं से बातचीत करते हुए मोदी ने उनसे पूछा कि क्या उनके सिलेंडर का रीफिल समय पर हो रहा है? और क्या कोई दलाल बीच में उनसे पैसे की मांग करता है। मोदी ने उनसे एलपीजी उपयोग के अनुभव भी पूछे।
 
मोदी ने महिलाओं से कहा कि वे अपने बच्चों को स्वास्थ्यप्रद और पोषक खाना दें। अपने बच्चों को 'जंक फूड' के भरोसे न छोड़ें। वे प्रेमचंद की 'ईदगाह' कहानी को कभी नहीं भूल सकते जिसमें हामिद नाम का एक लड़का ईद पर मिले पैसों से अपने लिए मिठाई या तोहफे नहीं खरीदता बल्कि अपनी दादी मां के लिए चिमटा खरीदता है ताकि चूल्हे पर काम करते वक्त उसकी दादी के हाथ न जलें। यह बहुत मार्मिक कहानी है। 'उज्ज्वला योजना' भारत की नारी शक्ति को एक बेहतर स्वास्थ्य देने की ओर अग्रसर है। (भाषा)

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