प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर दिया है। करीब 32 महीने 700 करोड़ की लागत से तैयार काशी काशी विश्वनाथ का अलौकिक और दिव्य परिसर भगवान शिव की नगरी काशी की पूरी दुनिया में एक नई छवि को रुप में स्थापित करेगा। सुबह पीएम मोदी के काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना के साथ शुरु हुआ कॉरिडोर के लोकार्पण का कार्यक्रम में शाम को गंगा आरती के साथ खत्म हुआ। आज के भव्य कार्यक्रम के बाद भाजपा दावा कर रही है भाजपा सरकार ने गौरवशाली हिंदू सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए निष्ठा और प्रयासों से जो कार्य किए उसको आज पूरी दुनिया काशी और अयोध्या में देख रही है।
दूसरी ओर 2022 के उत्तरप्रदेश चुनाव से ठीक पहले काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण को लेकर सियासत भी चरम पर है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कॉरिडोर का श्रेय खुद लेते हुए कहते है कि इसका काम सपा सरकार के समय ही शुरु हुआ था। दरअसल अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के शिलान्यास के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 'रामलला' के रथ पर सवार थी उसमें अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी जुड़ गया है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के मौके पर आज भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी काशी पहुंचे। काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के अवसर पर बनारस पहुंचे भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों का काशी के बाद अगला पड़ाव भी भगवान राम की नगरी अयोध्या होगा।
2022 के विधानसभा चुनाव में काशी विश्व कॉरिडोर के आयोजन के जरिए भाजपा सरकार-संगठन आस्था के सम्मान व विकास के एक ऐसे मॉडल के तौर पर पेश करने में जुटी है जो हिंदुत्व की विचारधारा को और मजबूत करता है। दरअसल भाजपा अपने सभी शीर्ष चेहरों को अयोध्या लाकर यह संदेश देने में जुटी है कि आस्था स्थलों के विकास, सम्मान व गौरव की स्थापना उसके लिए सर्वोपरि है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के कार्यक्रम में शामिल होने बनारस पहुंचे है उन्होंने कहा कि लगभग 350 साल पहले मां अहिल्याबाई होल्कर ने विश्वनाथ मंदिर का पुनरूद्धार किया था और 350 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से मंदिर का पुनरुद्धार करके कॉरिडोर बनाया है। यह अद्भुत अवसर है कि भारत के गौरवशाली और वैभवशाली स्थान की पुर्नस्थापना है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रखर नेतृत्व और कल्पना ने पुर्ननिर्माण के बाद काशी बदल गई है।
उत्तरप्रदेश की सियासत को करीबी से देखने वाले लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं चुनाव से ठीक पहले इतने भव्य तरीके से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण कार्यक्रम से निश्चित तौर पर भाजपा को पॉलिटिकल माइलेज मिलेगा। अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास के बाद काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर भाजपा यह मैसेज देना चाहती है कि वह असल में हिंदूओं की हितैषी पार्टी है और बाकी अन्य दल मुस्लिम परस्त है। 18 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों का काशी पहुंचना और वहां से फिर अयोध्या जाने का कार्यक्रम ही यह बताता है कि भाजपा धर्म और आस्था के नाम पर अपना प्रचार करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के जरिए भाजपा की पूरी कोशिश अक्रामक हिंदुत्व को एजेंडे को धार देने के साथ-साथ कट्टर हिंदूत्ववादी छवि को और मजबूत करना है जिसका फायदा चुनाव में वोटबैंक के रुप में मिल सके।
वहीं अयोध्या के बाद काशी के एजेंडे को पूरा करने के सवाल पर रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि भले ही भाजपा नेता इसको काशी के एजेंडे के पूरा करने के तौर पर देख रहे हो लेकिन भाजपा का कोर एजेंडा ज्ञानवापी मस्जिद को हटाना था। आज कॉरिडोर के निर्माण से भले ही कहा जा रहा है कि विश्वनाथ मंदिर के भव्य स्वरूप के आगे मस्जिद कहीं न कही पीछे हो गई हो लेकिन ज्ञानवापी मस्जिद तो अभी भी पहले की तरह वहां मौजूद तो है।
नब्बे के दशक में रामरथ पर सवार होकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंची भाजपा ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राम मंदिर के निर्माण को अपनी उपलब्धियों की सूची में सबसे ऊपर रखा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ भाजपा नेताओं के चुनावी भाषण बिना राम मंदिर के उल्लेख के पूरे नहीं होते। सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासत में जुटे विपक्ष को उसके पुराने फैसले बयान याद दिलाकर भाजपा उन्हें रामद्रोही बताने से भी नहीं चूक रही है।
काशी से अयोध्या तक की 220 किलोमीटर की दूरी 18 राज्यों में मुख्यमंत्री उसी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से पूरी करेंगे जो इन दिनों उत्तरप्रदेश की सियासत के केंद्र मे है। भाजपा की पूरी कोशिश है कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले आस्था स्थलों की बदलती तस्वीर के साथ ही योगी सरकार में हुए कामकाज की ब्रैंडिंग भी हो जाए।