कर्नाटक चुनाव में मोदी और राहुल की अग्निपरीक्षा, क्या 38 साल पुराना मिथक तोड़ पाएगी BJP?
कर्नाटक मेंं 1985 के बाद किसी चुनाव में सत्तारूढ़ दल की नहीं हुई वापसी
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान कर दिया है। चुनाव आयोग ने कर्नाटक में विधानसभा की सभी 224 सीटों पर एक चरण में 10 मई को चुनाव कराने का एलान किया है। वहीं 13 मई को चुनाव परिणाम आएंगे। दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
मोदी के सामने दक्षिण का किला बचाने की अग्निपरीक्षा?-2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले होने रहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव को फाइनल से पहले सेमीफाइनल मुकाबले की तरह देखा जा रहा है और कर्नाटक चुनाव भाजपा के लिए एक अग्निपरीक्षा की तरह है।
कर्नाटक दक्षिण का एकमात्र राज्य है जहां भाजपा सत्ता में है और पार्टी किसी भी सूरत में कर्नाटक को अपने हाथों से नहीं निकलने देना चाहती है। कर्नाटक में बसवराज बोम्मई की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर जिस तरह से भष्टाचार के आरोप लगे है और कांग्रेस जिस तरह भष्टाचार के मुद्दें पर भाजपा पर हमलावर है उससे निपटना पार्टी के लिए आसान नहीं है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ेगी। यहीं कारण है कि राज्य में भाजपा की पूरी चुनावी कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने हाथों में संभाल रखी है। कर्नाटक में चुनाव की तारीखों के एलान से पहले इस साल नरेंद्र मोदी 7 बार कर्नाटक के दौरे कर चुके है।
चुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही नरेंद्र मोदी कर्नाटक में भाजपा की विजय संकल्प यात्रा की शुरुआत कर चुके है। कर्नाटक में अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य को करोड़ों के विकास कार्यों की सौगात देने के साथ डबल इंजन की सरकार का नारा बुलंद किया।
कर्नाटक में राहुल गांधी की अग्निपरीक्षा- वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए पूरा दम लगा रही है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा में कर्नाटक पर खासा फोकस किया था और सोनिया गांधी के साथ वह कर्नाटक में पैदल चले थे। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा में कर्नाटक में सबसे अधिक समय गुजारा था। कर्नाटक में राहुल के साथ सोनिया गांधी के पदयात्रा कर कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले अपने जमीनी कैडर को रिचार्ज करने की कोशिश की थी।
ऐसे में कर्नाटक वह पहला राज्य होगा जहां राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा गुजरी थी और वहां अब विधानसभा चुनाव होने जा रहे है, ऐसे में कर्नाटक के चुनाव परिणाम सीधे राहुल गांधी की प्रतिष्ठा से जुड़ेंगे। वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस ने जिस तरह से मोदी सरकार के खिलाफ जमीनी लड़ाई का एलान किया है,उसका लिटमस टेस्ट भी कर्नाटक में होगा।
कर्नाटक की राजनीति को 4 दशक से अधिक समय से करीब से देखने वाले राजनीतिक विश्लेषक और जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी भोपाल के वाइस चासंलर डॉ. संदीप शास्त्री कहते हैं कि कर्नाटक वह राज्य है जहां विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। संदीप शास्त्री कहते हैं कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के अब तक के चुनावी कैंपेन देखे तो लगता है कि भाजपा केंद्र सरकार की उपलब्धियों और केंद्रीय चेहरों को आगे कर चुनाव लड़ने जा रही है अगर कर्नाटक के 2018 के विधानसभा चुनाव पर नजर डाले तो पता चलता है कि मोदी ही भाजपा के चेहरा है।
सोशल इंजीनियरिंग पर भाजपा का फोकस-कर्नाटक में भाजपा मोदी के चेहरे और डबल इंजन की सरकार के साथ-साथ सोशल इंजीनियरिंग फ़ॉर्मूले को भी अपना रही है चुनाव से पहले लिंगायत वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को फिर आगे कर दिया है।
भाजपा येदियुरप्पा को आगे कर राज्य में प्रभावशाली लिंगायत समुदाय को ये संदेश देने की कोशिश कर रही है उसने लिंगायत समुदाय को दरकिनार नहीं किया है। येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आने वाले राज्य के सबसे बड़े नेता है। राज्य में उत्तरी इलाके और मध्य कर्नाटक की 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर लिंगायत समुदाय निर्णायक भूमिका अदा करते है।
कर्नाटक में चुनाव तारीखों के एलान से पहले लिंगायत समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के घर पर हंगामा कर अपने तेवर दिखा दिए थे। ऐसे में भाजपा को अगर सत्ता में वापसी कर नई इबारत लिखना है तो उसे लिंगायत को साधना ही होगा।