Inside story: मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए आखिर क्या है नरेंद्र मोदी का गेमप्लान?

मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए भाजपा क्यों शुरु करेगी स्नेह यात्रा, 2024 के लिए भाजपा के लिए क्यों जरूरी है मुस्लिम वोटर?

विकास सिंह
सोमवार, 4 जुलाई 2022 (15:15 IST)
हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिन चली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी को मुस्लिम समुदाय में अपनी पकड़ बनाने के लिए स्नेह यात्रा शुरु करने का लक्ष्य दिया। पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को अल्पसंख्यकों में जो वंचित और कमजोर तबका है, उनके बीच भी जाकर पहुंच बनानी चाहिए। दरअसल भाजपा की नजर उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मुस्लमानों के उस वोटबैंक पर है जिसे पसमांदा कहा जाता है। 
 
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भाजपा जो 2014 के बाद मुसमानों को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में टिकट देने से परहेज करती है वह आखिरी क्यों मुसलमानों के एक वर्ग के वोट बैंक को लुभाने के लिए कोई कार्यक्रम शुरु करने जा रही है।  
 
मुस्लिमों के प्रति भाजपा का झुकाव क्यों?-
हैदराबाद राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक से भाजपा ने मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर रिझाने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। दरअसल मुस्लिम वोटरों को साध कर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने 50 फीसदी से उपर वोट शेयर प्राप्त करने के लक्ष्य की राह को आसान बनाना चाहती है। इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव और हाल में हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा चुनाव के रिजल्ट ने भाजपा को मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए रणनीति बनाने के लिए प्रेरित किया है।  
उत्तर प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कई मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर जीत हासिल की। इसके साथ चुनाव के आंकड़े बताते है कि पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर भाजपा के साथ गया। वहीं भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हाल में हुए रामपुर और आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनावों में जीत को लेकर जो रिपोर्ट पेश की गई उसमें बताया गया कि मुस्लिम मतदाता भाजपा के साथ आया हैं। कार्यकारिणी की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि पसमांदा मुसलमानों जैसे सामाजिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के बीच पहुंच बनाने के भी प्रयास किए जाने चाहिए।

उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े अल्पसंख्यक चेहरे और पूर्व मंत्री मोहसिन रजा कहते है कि पसमांदा मुसलमान दलित और ओबीसी मुसलमान हैं,जिनमें मुस्लिम समुदाय का 75 से 80 प्रतिशत हिस्सा है। पार्टी पसमांदा समुदाय को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा उनके जीवन के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है।

उत्तर प्रदेश के पसमांदा मुसलमानों के नेता अक्सर दावा करते हैं कि अल्पसंख्यक आबादी में 80-85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान हैं। पसमांदा से आशय पिछड़े मुसलमानों से है और भाजपा की नजर अब इसी वोट बैंक पर है। पसमांदा मुसलमानों को साधकर भाजपा अपने वोट शेयर बढ़ाना चाह रही है।    
 
वहीं उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार औऱ राजनीतिक विश्लेषक नागेंद्र कहते हैं कि यह सच है कि पसमांदा मुसलमान विधानसभा चुनाव में खासकर पूर्वांचल इलाके में आने वाले संतकबीनगर, गाजीपुर और मऊ जैसे जिलों में भाजपा के साथ खड़ा नजर आया था और चुनाव में उसने भाजपा को वोट दिया था। पसमांदा मुसलमानों का यह वर्ग जो गरीब तबके से आते है असल में वह केंद्र औऱ राज्य की भाजपा सरकार की लाभार्थी योजना से प्रभावित था और उसने इसलिए भाजपा को वोट दिया। वहीं अब जब भाजपा ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट जीत ली है तो वह यह दिखाना चाहती है कि वहां का मुस्लिम वोटर भी उसके साथ है। 

दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के ट्रंप कार्ड साबित हुए लाभार्थी स्कीम के जरिए  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य पसमांदा मुसलमानों को भाजपा के खेमे में लाना है। पसमांदा मुसलमानों ंको आर्थिक रूप से मजबूत कर सरकार की योजनाओं का लाभ दिलवाकर भाजपा इस बड़े समुदाय को अपने साथ लाने की कोशिश में है जिससे 2024 में उसके 50 फीसदी वोटर शेयर का लक्ष्य पूरा हो सके।
 
मिशन तेलंगाना के लिए मुस्लिम वोट जरूरी-
भाजपा जिसने 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत में एक बड़ी जीत हासिल की थी उसकी नजर अब दक्षिण पर टिकी हुई है। वर्तमान में कर्नाटक को छोड़कर भाजपा के हाथ में दक्षिण का कोई राज्य नहीं है। ऐसे में भाजपा ने अगले साल तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव पर फोकस कर दिया है। 
 
हैदराबाद में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर भाजपा ने अपने मिशन तेलंगाना का शंखनाद कर दिया है। तेलंगाना में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए भाजपा ने पूरा फोकस कर दिया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के आखिरी दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय संकल्प रैली के जरिए चुनावी शंखनाद कर दिया है। अगर भाजपा को तेलंगाना जीतना है तो उसे मुस्लिम वोटर में सेंध लगानी होगी।
 
अगर वोटरों के आंकडें को देखा जाए तो तेलंगाना की साढ़े तीन करोड़ की आबादी में से 12 फीसदी मुस्लिम वोटर विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में टीआरएस के साथ गए थे। इसके साथ हैदाराबाद के शहर इलाको में मुस्लिम वोटर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की भी पकड़ है। ऐसे में अगर भाजपा को दक्षिण के इस किले में सेंध लगानी है तो उसके मुस्लिम वोटर को भी साधना होगा। 

वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र आगे कहते हैं कि हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के जरिए असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक संदेश देना चाहते हैं कि वह मुसलमानों के हितैषी है। ऐसे में जब भाजपा तेलंगाना में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है तब भाजपा को मुस्लिम वोटरों को एक संदेश देना जरूरी हो गया था। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख