कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा का सत्ता का सपना सच नहीं होने दिया। येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद ही राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह संकेत दे दिया कि भाजपा और आरएसएस को हम सब मिलकर हराएंगे। 2019 के आम चुनाव और आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लेकर नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के लिए परेशानियां खड़ी कर सकती है। राहुल के इस बयान पर विपक्ष के कई नेता सुर से सुर मिलाते नजर आए। कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए भी विपक्ष के नेताओं को बुलावा भेजा गया है। विपक्षी एकता की गाड़ी आगे बढ़ने का संकेत कुमारस्वामी के शपथ में भी दिख सकता है।
मिलाए राहुल के सुर में सुर : मायावती, अखिलेश सहित देश के तमाम विपक्षी दल भी राहुल गांधी के बयान के मुताबिक अपनी बात रख रहे हैं। भाजपा के बढ़ते रथ को रोकने के लिए विपक्षी एकता अब इन दलों के लिए विकल्प नहीं, बल्कि राजनीतिक मजबूरी बन गई है। 2019 से पहले कर्नाटक मॉडल को जोर-शोर से आगे बढ़ाया जा सकता है। कुमारस्वामी के शपथ समारोह को विपक्षी एकता मंच बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
कांग्रेस अपना सकती है यह फॉर्मूला : कांग्रेस कर्नाटक फॉर्मूले को आने वाले समय में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी अपना सकती है। कांग्रेस 11 राज्यों में 12 बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ पी-प्रोल या पोस्ट पोल गठबंधन कर भाजपा को सरकार बनाने से रोक सकती है।
शपथ ग्रहण समारोह में जुटेगा विपक्ष : कर्नाटक में सियायी ड्रामे में भाजपा की हार के बाद बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, टीडीपी अध्यक्ष चन्द्रबाबू नायडू, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव, राजद के तेजस्वी यादव भाजपा को घेरते हुए नजर आए। माया, ममता समेत सभी नेताओं ने कुमारस्वामी को फोन कर बधाई दी। शपथ समारोह में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, शरद पवार समेत विपक्ष के कई बड़े नेता शामिल हो सकते हैं।