मोदी ने इसलिए बैठकों में लगाई मोबाइल फोन पर रोक...

Webdunia
शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017 (18:22 IST)
नई दिल्ली। देश के शीर्ष नौकरशाहों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुलासा किया कि उन्होंने क्यों अपनी बैठकों में मोबाइल फोन पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि आज के दिनों में मैंने जिला स्तर के अधिकारियों को अपने मोबाइल के साथ बहुत अधिक व्यस्त पाया, इसलिए मैंने बैठकों में मोबाइल पर ही रोक लगा दी।
 
सिविल सर्विस डे के मौके पर आयोजित एक समारोह में उन्होंने फोन कीपैड पर अधिकारियों की तेजी की नकल उतारते हुए कहा कि 'लोग ई-गवर्नेंस ने अब मोबाइल गवर्नेंस पर चले गए हैं। यह आज की वास्तविकता है।' वर्ष 2014 में भारी बहुमत से सत्ता में आने वाले मोदी ने सक्षम कार्यबल पर ज्यादा जोर दिया। उनके शासन काल में नौकरशाही की कार्यशैली में आमूलचूल बदलाव हुआ। 
 
परंपरागत मानसिक रवैए में बदलाव और कार्यशैली में परिवर्तन की जरूरत को निरूपित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, नौकरशाही पर पदानुक्रम संस्कृति का बोझ तो ब्रिटिश राज के दौरान से रहा है। लेकिन अगर वरिष्ठ और अधिक अनुभवी लोग समझते हैं कि नई भर्ती अच्छा काम कर रही है और इससे उन्हें डर लगता है तो यह पदानुक्रमिक संस्कृति का ही दबाव है।'
  
पीएम मोदी ने अधिकारियों ने अपने अनुभव का बेहतर इस्तेमाल करने का आग्रह करते हुए अधिकारियों से कहा कि 'ऐसा नहीं है कि आपसे बेहतर सुझावों और अनुशंसाओं की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने बदलाव के लिए सामूहिक उत्तरदायित्व और गैर-परम्परागत सोच को अपनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मुझमें सुधारों को अमल में लाने की राजनीतिक इच्छा शक्ति है लेकिन नीतियों और योजनाओं को बनाने और उनका क्रियान्वयन कराने वाले तो आप लोग ही हैं। मोदी ने इसलिए बैठकों में लगाई मोबाइल फोन पर रोक..
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नई दिल्ली। देश के शीर्ष नौकरशाहों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुलासा किया कि उन्होंने क्यों अपनी बैठकों में मोबाइल फोन पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि आज के दिनों में मैंने जिला स्तर के अधिकारियों को अपने मोबाइल के साथ बहुत अधिक व्यस्त पाया, इसलिए मैंने बैठकों में मोबाइल पर ही रोक लगा दी।
 
सिविल सर्विस डे के मौके पर आयोजित एक समारोह में उन्होंने फोन कीपैड पर अधिकारियों की तेजी की नकल उतारते हुए कहा कि 'लोग ई-गवर्नेंस ने अब मोबाइल गवर्नेंस पर चले गए हैं। यह आज की वास्तविकता है।' वर्ष 2014 में भारी बहुमत से सत्ता में आने वाले मोदी ने सक्षम कार्यबल पर ज्यादा जोर दिया। उनके शासन काल में नौकरशाही की कार्यशैली में आमूलचूल बदलाव हुआ। 
 
परंपरागत मानसिक रवैए में बदलाव और कार्यशैली में परिवर्तन की जरूरत को निरूपित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, नौकरशाही पर पदानुक्रम संस्कृति का बोझ तो ब्रिटिश राज के दौरान से रहा है। लेकिन अगर वरिष्ठ और अधिक अनुभवी लोग समझते हैं कि नई भर्ती अच्छा काम कर रही है और इससे उन्हें डर लगता है तो यह पदानुक्रमिक संस्कृति का ही दबाव है।'
  
पीएम मोदी ने अधिकारियों ने अपने अनुभव का बेहतर इस्तेमाल करने का आग्रह करते हुए अधिकारियों से कहा कि 'ऐसा नहीं है कि आपसे बेहतर सुझावों और अनुशंसाओं की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने बदलाव के लिए सामूहिक उत्तरदायित्व और गैर-परम्परागत सोच को अपनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मुझमें सुधारों को अमल में लाने की राजनीतिक इच्छा शक्ति है लेकिन नीतियों और योजनाओं को बनाने और उनका क्रियान्वयन कराने वाले तो आप लोग ही हैं। 
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