मोदी बोले, गंदगी करने वालों को 'वंदे मातरम्' कहने का हक नहीं...

Webdunia
सोमवार, 11 सितम्बर 2017 (18:49 IST)
नई दिल्ली। पान खाकर इधर-उधर थूकने वालों और कूड़ा-कचरा फेंकने वालों को फटकार लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश में 'वंदे मातरम्' कहने का सबसे पहला हक सफाई कार्य करने वालों को है।
 
शिकागो में स्वामी विवेकानंद के संबोधन की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब 'वंदे मातरम्' कहते हैं, तब भारत भक्ति का भाव जागृत होता है। लेकिन मैं इस सभागार में बैठे लोगों के साथ पूरे हिन्दुस्तान से यह पूछना चाहता हूं कि क्या हमें 'वंदे मातरम्' कहने का हक है? मैं जानता हूं कि मेरी यह बात कई लोगों को चोट पहुंचाएगी। लेकिन मैं फिर भी कहता हूं, 50 बार सोच लीजिए कि क्या हमें 'वंदे मातरम्' कहने का हक है? 
 
मोदी ने कहा कि हम पान खाकर भारतमाता पर पिचकारी करते हैं और फिर 'वंदे मातरम्' कहते हैं। सारा कूड़ा-कचरा भारतमाता पर फेंक देते हैं और फिर 'वंदे मातरम्' बोलते हैं। इस देश में 'वंदे मातरम्' कहने का सबसे पहला हक अगर किसी को है, तो वे देशभर में सफाई कार्य करने वाले हैं। यह हक भारतमाता की उन सच्ची संतानों को है, जो सफाई कार्य करते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि और इसलिए हम यह जरूर सोचें कि सुजलाम, सुफलाम भारतमाता की हम सफाई करें या नहीं करें, लेकिन इसे गंदा करने का हक हमें नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा के प्रति श्रद्धा का भाव हो, हम यह जरूर सोचते हैं कि गंगा में डुबकी लगाने से हमारे पाप धुल जाते हैं, हर नौजवान सोचता है कि वे अपने मां-बाप को एक बार गंगा में डुबकी लगवाए, लेकिन क्या उसकी सफाई के बारे में सोचते हैं? क्या आज स्वामी विवेकानंद जीवित होते, तब हमें डांटते नहीं? 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सोचते हैं कि हम इसलिए स्वस्थ हैं, क्योंकि अच्छे से अच्छे अस्पताल एवं डॉक्टर हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम केवल अच्छे से अच्छे अस्पताल और उत्तम डॉक्टर के कारण स्वस्थ नहीं हैं बल्कि हम स्वस्थ इसलिए हैं, क्योंकि हमारे सफाईकर्मी साफ-सफाई रखते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि डॉक्टर से भी ज्यादा आदर का भाव हम जब सफाईकर्मियों को देने लगेंगे तब 'वंदे मातरम्' कहने का आनंद आएगा। मोदी ने कहा कि हम साल 2022 में आजादी के 75 साल मनाने जा रहे हैं। तब क्या हम कोई संकल्प ले सकते हैं क्या? यह संकल्प जीवनभर के लिए होना चाहिए। मैं यह करूंगा, यह दृढ़ता होनी चाहिए। 
 
प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में छात्र जीवन एवं छात्र राजनीति का जिक्र किया और कहा कि आज तक मैंने नहीं देखा कि छात्रसंघ चुनाव में किसी उम्मीदवार ने यह कहा हो कि हम कैम्पस को साफ रखेंगे। हमने यह देखा होगा कि चुनाव के दूसरे दिन कॉलेज या विश्वविद्यालय कैम्पस की क्या स्थिति रहती है? लेकिन इसके बाद हम फिर 'वंदे मातरम्' कहते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि क्या हम नहीं चाहते कि हम अपने देश को 21वीं सदी का भारत बनाएं, गांधी, भगतसिंह, राजगुरु, आजाद, विवेकानंद, सुभाष चन्द्र बोस के सपनों का भारत बनाएं। यह हमारा दायित्व है और हमें इसे पूरा करना है। (भाषा)

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