प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मालदीव यात्रा कई मायनों में खास है। मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को भारत समर्थक माना जाता है। सोलिह ने चीन समर्थक अब्दुल्ला यामीन को चुनाव में हराया है और इंडिया फर्स्ट पॉलिसी की वकालत की है। इसमें कोई संदेह नहीं की मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के रिश्ते और ज्यादा प्रगाढ़ होंगे।
सोलिह का मानना है कि 4 लाख से अधिक की आबादी वाले इस मुल्क को अपने पड़ोसियों के साथ प्रगाढ़ संबंधों की जरूरत है। सोलिह की टीम चीन के लाखों डॉलर के निवेश की समीक्षा कर रही है। चीन के कर्ज से मुक्ति पाने के लिए मालदीव की नई सरकार भारत, अमेरिका और सऊदी अरब से वित्तीय मदद के लिए संपर्क कर चुकी है ताकि इस कर्ज से निपटा जा सके। मालदीव पर चीन का कर्ज लगभग 1.5 अरब डॉलर है।
दअरसल, मालदीव में सत्ता परिवर्तन के बाद अब भारत को वहां अपने लिए एक अवसर दिख रहा है। भारत ने सोलिह को आश्वस्त किया है कि वह मालदीव को हर तरह की मदद के लिए तैयार है। भारत ने कुछ साल पहले मालदीव को 75 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन दी थी। यूं तो भारत के मालदीव के साथ रिश्ते अच्छे रहे हैं, यामीन के सत्ता में आने के बाद जरूर रिश्तों में थोड़ी तल्खी आई थी। यामीन का चीन की ओर झुकाव इसका प्रमुख कारण रहा है।
भारत के लिए सबसे अहम बात यह है कि नई सरकार बनने के बाद मालदीप में चीन का दखल कम हो जाएगा और भारत को एक बार फिर वहां पांव जमाने में मदद मिलेगी। मालदीप की ताजा स्थिति भारत के लिए न सिर्फ व्यापारिक दृष्टिकोण से बल्कि सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। चीन भी यहां सैन्य बेस बनाने की फिराक में था।
राजीव गांधी ने भेजी थी सेना : गौरतलब है कि 1988 में जब अब्दुल्ला लुथुफी के नेतृत्व में भाड़े के सैनिकों ने वैधानिक सरकार का तख्ता पलट करने का प्रयास किया, तब तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत सहित कई देशों से सैन्य हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सेना को तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया था। इमरजेंसी मैसेज के 9 घंटे बाद ही भारतीय सेना के कमांडो मालदीव पहुंचे। भारतीय सेना ने कुछ ही घंटों में सब कुछ अपने नियंत्रण में लिया और मालदीव के तख्तापलट को नाकाम कर दिया। आजादी के बाद विदेशी धरती पर भारत का यह पहला सैन्य अभियान था। अभियान को ऑपरेशन कैक्टस नाम दिया गया था।
भारत के लिए क्यों खास है मालदीव : मालदीव सामरिक दृष्टि से भारत के लिए खास मायने रखता है। मालदीव, हिंद महासागर में श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम और भारत के लक्षद्वीप के दक्षिण में स्थित है। यह राष्ट्र लक्षद्वीप से मात्र 700 किमी और भारतीय मुख्य भूमि से लगभग 1200 किमी दूर है। मालदीव एक द्वीप नहीं बल्कि 1192 द्वीपों की श्रृंखला है जिनमे से मात्र दो सौ द्वीप ही आबाद हैं। महत्वपूर्ण यह है कि वह ऐसे समुद्री मार्गों के मध्य स्थित है जहां से दुनिया का दो तिहाई तेल और मालवाहक जहाजों का आधा हिस्सा गुजरता है।