अमरनाथ यात्रा पर मंडराया 'तिहरा' खतरा

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। दो जुलाई से शुरू हो रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा को तिहरे खतरे के दौर से गुजरना होगा। एक खतरा अलगाववादियों की अवधि कम करने की मुहिम का है तो दूसरा खतरा आतंकी हमलों का भी है। ताजा खतरा मौसम का भी है जिसके यात्रा में विलेन की भूमिका निभाए जाने की आशंका जताई जाने लगी है।
नेशनलन हाईवे पर हुए ताबड़तोड़ हमलों के बाद सेना समेत अन्य सुरक्षाबलों ने अब इसके प्रति रहस्योदघाटन किया है कि आतंकी अमरनाथ यात्रा पर हमले कर सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों की बैठक में यह चेतावनी सेनाधिकारियों ने देकर सभी को चौंकाया जरूर है। दरअसल, उनकी चेतावनी ऐसे समय में आई है जब कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने का दावा भी किया जा रहा है।
 
अधिकारियों के बकौल, सेना की इस चेतावनी के उपरांत अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा प्रबंधों की फिर से समीक्षा किए जाने के साथ-साथ सुरक्षा प्रबंधों के लूप होलों को मजबूत किया जा रहा है। हालांकि इस बार सुरक्षा एजेंसियों की परेशानी अभी तक यह थी कि केंद्र सरकार यात्रा के लिए उतने सुरक्षाबल देने को फिलहाल राजी नहीं था जितने की मांग हालात के अनुसार की जा रही थी, पर पंपोर में हुए फिदायीन हमलों के बाद उसने अतिरिक्त सैनिक कश्मीर भिजवाने आरंभ कर दिए हैं।

साथ ही बहुत बड़ी तादाद में बख्तरबंद गाड़ियों को भी कश्मीर में भिजवाकर सारी दुनिया में कश्मीर की छवि युद्धग्रस्त इलाके की बना दी है। ऐसे में सुरक्षाबलों के लिए भी अमरनाथ यात्रा को लेकर दोहरे मोर्चे पर निपटना आसान नहीं लग रहा है। आतंकी खतरे के साथ-साथ अलगाववादियों के आह्वान पर बंद-हड़तालों और पत्थरबाजों का खतरा भी यात्रा पर मंडरा रहा है।
 
अलगाववादी यात्रा की अवधि कम करवाना चाहते हैं। इसके लिए वे कश्मीर में अनिश्चिकालीन बंद की धमकी दे रहे हैं। अलगाववादी नेताओं के इशारों पर पत्थरबाज अमरनाथ यात्रियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसी आशंका सुरक्षा एजेंसियां भी व्यक्त कर रही हैं। ऐसा ही वे पिछले साल भी कर चुके हैं जिस कारण कई अमरनाथ श्रद्धालु जख्मी भी हो गए थे और यात्रा भी प्रभावित हुई थी।
 
इन दो खतरों के बीच मौसम के प्राकृतिक खतरे को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मौसम पूरी तरह से अमरनाथ यात्रा में विलेन की भूमिका निभा सकता है। इस बार मौसम की परेशानी इसलिए भी है क्योंकि मानसून समय से पहले पहुंच गया है और कश्मीर में वैसे भी पिछले एक साल से बाढ़ का खतरा लगातार मंडरा रहा है और आए दिन होने वाली बारिश सबके लिए परेशानियां पैदा कर रही है।
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