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कौन हैं भारतीय नौसेना की दो बहादुर महिला अधिकारी जिन्होंने 8 महीनों में तय किया 50,000 किलोमीटर का समुद्री सफ़र, प्रधानमंत्री ने की सराहना

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हमें फॉलो करें लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए.

WD Feature Desk

, शनिवार, 31 मई 2025 (14:46 IST)
navika sagar parikrama ii news: हाल ही में भारतीय नौसेना की दो जांबाज महिला अधिकारियों, लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के., ने इतिहास रचते हुए 'नाविका सागर परिक्रमा-II' को सफलतापूर्वक पूरा किया। वे गोवा स्थित अपने नौसेना बेस पर INSV तारिणी पर सवार होकर लौट आई हैं। यह एक ऐसा कारनामा है जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया है और प्रधानमंत्री सहित कई दिग्गजों ने उनकी जमकर सराहना की है।

'नाविका सागर परिक्रमा-II' क्या है?
'नाविका सागर परिक्रमा-II' भारतीय नौसेना का एक महत्वाकांक्षी अभियान है, जिसके तहत महिला अधिकारियों द्वारा पूरे विश्व की समुद्री परिक्रमा की जाती है। यह इस अभियान का दूसरा संस्करण है। पहले संस्करण में छह महिला अधिकारियों ने हिस्सा लिया था, लेकिन इस बार का अभियान इसलिए भी खास है क्योंकि लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. ने केवल दो सदस्यों के चालक दल के साथ यह साहसिक यात्रा पूरी की है।
यह ऐतिहासिक अभियान 2 अक्टूबर 2024 को गोवा से शुरू हुआ था। आठ महीने की इस यात्रा में दोनों महिला अधिकारियों ने लगभग 50,000 किलोमीटर (लगभग 25,400 नॉटिकल मील) की दूरी तय करते हुए दुनिया का चक्कर लगाया। यह सफर उन्होंने भारतीय नौसेना की सेलिंग बोट INSV तारिणी पर बिना किसी इंजन या बाहरी तकनीकी सहायता के, केवल पाल (sail) और हवा के सहारे पूरा किया। इस दौरान उन्हें तीन महासागरों और चार महाद्वीपों से होकर गुजरना पड़ा, जिसमें केप ऑफ गुड होप, केप लीविन और केप हॉर्न जैसे चुनौतीपूर्ण समुद्री केप भी शामिल थे।

साहस और आत्मनिर्भरता की मिसाल
यह यात्रा सिर्फ समुद्री दूरी तय करने से कहीं बढ़कर है। यह भारतीय महिलाओं के साहस, दृढ़ संकल्प और अदम्य भावना का प्रतीक है। लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. ने साबित कर दिया कि भारतीय महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं, चाहे वह समंदर की विशाल लहरें ही क्यों न हों। इस अभियान ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है और देश की 'नारी शक्ति' का परचम पूरी दुनिया में लहराया है।
INSV तारिणी, जिस पर उन्होंने यह यात्रा की, एक स्वदेशी रूप से निर्मित 56 फुट लंबा नौकायन पोत है। यह 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो दर्शाता है कि भारत न केवल अपने दम पर ऐसे अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है, बल्कि इसके लिए आवश्यक उपकरण भी बना सकता है।


प्रधानमंत्री ने की सराहना
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर देश के प्रधानमंत्री ने इन बहादुर महिला अधिकारियों की जमकर सराहना की है। प्रधानमंत्री ने ये बात भोपाल में अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती के मौके पर कही जहां उन्होंने इंदौर मेट्रो को भी हरी झंडी दिखाई।

लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. की वापसी पर गोवा के मर्मुगाओ पोर्ट पर एक भव्य समारोह आयोजित किया गया, जहां केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनका स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह परिक्रमा भारत की बेटियों की इच्छाशक्ति और साहस का प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि इन महिला अधिकारियों ने यह सिद्ध किया है कि भारतीय महिलाएं समंदर की विशालता से भी बड़ी हैं। 'नाविका सागर परिक्रमा-II' सिर्फ भारतीय नौसेना के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक गर्व का क्षण है। यह युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा कि वे अपने सपनों का पीछा करें और किसी भी बाधा से न डरें। यह मिशन भारत की समुद्री शक्ति, महिला सशक्तिकरण और नवाचार का एक बेजोड़ उदाहरण है।


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