नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की शनिवार को यहां विशेष बैठक में नई शिक्षा नीति के मसौदे पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ और बोर्ड ने इस पर अपनी मुहर लगा दी। केब की यह बैठक केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच स्वस्थ संवाद बनाने और मजबूत शिक्षा नीति तैयार करने के वास्ते बुलाई गई थी और इस तरह सहकारी संवाद की भावना को मूर्तरूप दिया गया है, ताकि 21वीं सदी में युवा शिक्षा की नई चुनौतियों का सामना कर सकें।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की अध्यक्षता में केब की बैठक में केंद्रीय संस्कृति मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद पटेल और खेल एवं युवा मामले के मंत्री किरन रीजिजू तथा मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे और देशभर से अधिकांश राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने बैठक में सहभागिता की तथा 26 शिक्षा मंत्रियों और विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतियों के अलावा उच्च शिक्षा सचिव आर. सुब्रह्मण्यम तथा स्कूली शिक्षा सचिव रीना रे ने भाग लिया।
सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों तथा अन्य प्रतिनिधियों ने नई शिक्षा नीति की भूरि-भूरि प्रशंसा की। निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत निर्माण की आधारशिला है।
निशंक ने केब की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि करीब 3 दशक के बाद नई शिक्षा नीति लाई जा रही है और इसके लिए व्यापक विचार-विमर्श संपन्न हो गया है और केब की यह बैठक केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच स्वस्थ संवाद बनाने और मजबूत शिक्षा नीति तैयार करने के वास्ते बुलाई गई थी और इस तरह सहकारी संवाद की भावना को मूर्तरूप दिया गया है, ताकि 21वीं सदी में युवा शिक्षा की नई चुनौतियों का सामना कर सकें।
उन्होंने कहा कि आज केब की बैठक काफी लाभदायक रही और नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देते समय केब की बैठक में लिए निर्णयों और सुझाव को शामिल किया जाएगा। रीजिजू ने कहा कि शिक्षा के विकास के लिए फिट इंडिया आंदोलन को राष्ट्रीय लक्ष्य बनाने की जरूरत है, ताकि बदली हुई जीवनशैलियों के कारण लोग रोगों को खेल के जरिए दूर कर सकें और खुद फिट रह सकें।
पटेल ने कहा कि शिक्षा और संस्कृति आपस में जुड़े हुए हैं और बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरित करने के लिए देश की संस्कृति को अधिक से अधिक जानने और आपस में संवाद बनाने की जरूरत है। केब की बैठक में अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की गई, जिसके अनुसार देश में अब विश्वविद्यालयों की संख्या 903 से बढ़कर 993 हो गई है तथा उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या 49964 से बढ़कर 51649 हो गई है। इसके अलावा शिक्षकों की संख्या 13 लाख 88 हजार से बढ़कर 14 लाख 16 हजार हो गई है।
सर्वेक्षण के अनुसार उच्च शिक्षा में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या 3 करोड़ 66 लाख से बढ़कर 3 करोड़ 74 लाख हो गई है और उच्च शिक्षा दाखिला दर 25.8 से बढ़कर 26.3 प्रतिशत हो गया है। इस तरह अनुसूचित जाति के छात्रों का दाखिला दर 20.8 से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है, जबकि अनुसूचित जनजाति छात्रों का दाखिला दर 15.9 से बढ़कर 17.2 प्रतिशत हो गया है।
निशंक ने इस अवसर पर प्लेगरिस्म का पता लगाने के लिए 'शोध शुद्धि' नामक सॉफ्टवेयर लांच किया। इस सॉफ्टवेयर से एक हजार विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान जोड़े गए हैं।