बेंगलुरु। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC), बेंगलुरु ने कहा कि भारत-ब्रिटेन के बीच एक संयुक्त अनुसंधान परियोजना से सामने आया है कि अब मानसून और उष्णकटिबंधी चक्रवातों जैसे बड़े मौसम घटनाक्रमों का अधिक सटीक पूर्वानुमान व्यक्त किया जा सकता है।
आईआईएससी ने एक बयान में कहा कि दक्षिण बंगाल की खाड़ी में एक अनुसंधान पोत का इस्तेमाल करते हुए आईआईएससी, बेंगलुरु और ब्रिटेन स्थित पूर्वी आंग्लिया विश्वविद्यालय (यूईए) तथा कई भारतीय संस्थानों की टीमों ने भविष्य मौसम प्रणाली निगरानी के प्रयोगों के लिए एक खाका तैयार कियाल जो बारिश की मात्रा जैसी चीजों का पूर्वानुमान व्यक्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुसंधापन परियोजना का नेतृतव आईआईएससी में पर्यावरणीय एवं महासागरीय विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर पीएन विनयचंद्रन और यूईए के पर्यावरणीय विज्ञान एवं गणित स्कूल के प्रोफेसर एड्रियन मैथ्यूज ने किया।
बयान में कहा गया कि अध्ययन ‘नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट’ में प्रकाशित हुआ है। परियोजना के लिए वित्तीय मदद पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार और प्राकृतिक पर्यावरणीय अनुसंधान परिषद, ब्रिटेन ने प्रदान की। इस कार्य में समु्द्री अन्वेषण से जुड़े पोत ‘आरवी सिंधु साधना’ का इस्तेमाल किया गया। (भाषा)