नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका में भारत के प्रधान न्यायाधीश को पक्षकार बनाने पर सोमवार को आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति एस.के. कौल, न्यायमूर्ति ए. अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने अन्य लोगों के साथ याचिका दायर करने वाले वकील मैथ्यूज जे. नेदुमपारा से इस बारे में सवाल पूछा था।
उन्होंने सवाल करते पूछा कि कैसे उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश और शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों को सेक्रेटरी जनरल के माध्यम से प्रतिवादी पक्षकार के रूप में पेश किया है? पीठ ने कहा कि पक्षकारों की सूची देखिए। आप 40 साल का अनुभव रखने वाले वकील हैं। आप प्रतिवादी संख्या 2 (प्रधान न्यायाधीश) और 3 (पूर्ण अदालत) को पक्षकारों के रूप में कैसे शामिल कर सकते हैं? आप पहले पक्षकारों के मेमो में संशोधन करें।
पीठ ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के लिए इस तरह के रवैए को स्वीकार नहीं करेगी। अदालत ने नेदुमपारा से कहा कि जिस समय शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने इस पर आपत्ति जताई थी, याचिकाकर्ताओं को इसमें संशोधन करना चाहिए था। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत को रजिस्ट्रार के जरिए पक्षकार बनाया जा सकता है। पीठ ने नेदुमपारा से पक्षकारों के मेमो में संशोधन करने को कहा। पीठ ने कहा कि याचिका उसके बाद ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।
नेदुमपारा ने कहा कि वह उन्हें पक्षकारों की सूची से हटा देंगे और 1 दिन के भीतर संशोधन करेंगे। पीठ ने कहा कि अगर ऐसा किया जाता है तो याचिका को 24 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर 3 न्यायाधीशों की पीठ पूर्व में फैसला दे चुकी है और याचिकाकर्ताओं को अदालत को आश्वस्त करना होगा कि इस मुद्दे को बड़ी पीठ के पास क्यों भेजा जाना चाहिए।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta