सावधान! मोबाइल और लैपटॉप जल्दी लाते हैं बुढ़ापा, जानिए क्यों...

Webdunia
गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019 (12:37 IST)
नई दिल्ली। मोबाइल फोन और लैपटॉप से निकलने वाली ब्लू वेव लैंथ्स (तरंग दैर्ध्य) स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं और इनके साथ अधिक समय बिताने से मस्तिष्क और रेटिना की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं तथा बुढ़ापे को असमय 'न्योता' देती हैं।
ALSO READ: 7 दिन तक पोर्ट करा सकेंगे मोबाइल नंबर, 11 नवंबर से नई 'पोर्टेबिलिटी' व्यवस्था
अमेरिका की ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने अपने ताजा शोध में यह खुलासा किया है और चाहे-अनचाहे इस नीले प्रकाश के जद में जी रही मानव जाति की नियति पर चिंता जताई है। उनका दावा है कि प्राकृतिक प्रकाश के अलावा हर प्रकार की कृत्रिम रोशनी सेहत के लिए नुकसानदायक है। इनमें मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर और अन्य उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी के अलावा एलईडी बल्ब एवं ट्यूबलाइट से निकलने वाला दूधिया उजाला भी शामिल है।
 
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के प्रोफसर (ईएनटी विशेषज्ञ) डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि मोबाइल फोन समेत तमाम वैज्ञानिक उपकरणों ने हमारे जीवन को नया आयाम दिया है लेकिन इनके लगातार तथा अधिक समय तक प्रयोग करने का हमें खामियाजा भी भुगतना पड़ता है।
ALSO READ: सावधान, बंद हो जाएंगे 7 करोड़ मोबाइल नंबर, 31 अक्टूबर से पहले जरूर करें यह काम
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपने नए शोध में साबित किया है कि ब्लू वेव लैंथ्स किस तरह मस्तिष्क और रेटिना की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं। हम आज कृत्रिम रोशनी और विद्युत चुंबकीय विकिरण (इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन) के साए में जी रहे हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।
 
प्रोफेसर कुमार ने कहा कि उपकरणों के सही उपयोग के प्रति जागरूकता नहीं होने से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। कुछ लोगों को अधिकांश समय ईयरफोन लगाए देखा जा सकता है। ईयरफोन लगाकर गाना सुनने की आदत ज्यादातर स्कूल-कॉलेज के बच्चों और ऑफिस में काम करने वाले लोगों की होती है। वे लगातार इसका उपयोग करते हैं। आलम यह है कुछ लोग लिटरली कानों को 'बंद' करके सड़क भी पार करते हैं। कई ईयरफोन ऐसे होते हैं कि आप आवाज देते रहिए, लोग सुनेंगे ही नहीं। इस दौरान सड़क हादसे की कई घटनाएं हुई हैं।
 
उन्होंने कहा कि देर तक ईयरफोन का उपयोग करने से मस्तिष्क तक आवाज पहुंचाने वाली कोशिकाएं गर्म होकर क्षतिग्रस्त होती हैं और उन्हें ठीक भी नहीं किया जा सकता। कान सिर्फ 65 डेसिबल तक की आवाज को सहन कर सकता है।
 
लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहने से हेयर सेल्स क्षतिग्रस्त होती हैं और कालांतर में बधिरता की समस्या से जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अगर आप लगातार 10 घंटे तक ईयरफोन का इस्तेमाल करेंगे तो बधिरता की शिकायत भी हो सकती है।
 
हेडफोन से निकलने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगें मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं। कुछ लोगों को रात में सोते हुए गाने सुनने की आदत होती है जिसका दिमाग पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। कुछ इसी तरह की बात हमारे ताजा शोध में आई है कि ब्लू वेव लैंथ्स हमारे मस्तिष्क और रेटिना की कोशिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं। हमें सतर्क रहने की जरूरत है।
 
'एजिंग एडं मेकैनिज्म ऑफ डिजीज' में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने ड्रॉसोफिला मेलानोगेस्टर (फलों पर बैठने वाली मक्खियां) पर अध्ययन के दौरान ब्लू वेव लैंथ्स के हानिकारक प्रभावों को देखा है। अनुसंधानकर्ता प्रोफसर जे. गिइबुल्टोविक्स की टीम ने बताया कि इन मक्खियों की सेलुलर (जीवकोषीय) और विकासात्मक (डिवेलप्मेंटल) प्रक्रिया मनुष्यों और पशुओं से मेल खाती है इसलिए इस शोध के लिए ये उपयुक्त थीं।
 
उन्होंने कहा कि इन मक्खियों के बायोलॉजिक क्लॉक का अध्ययन किया गया। इनके 1 झुंड को 12 घंटे मोबाइल, टैबलेट्स, कम्प्यूटर आदि उपकरणों की ब्लू वेव लैंथ्स जैसी एलईडी लाइट और 12 घंटे अंधेरे में रखा गया और दूसरे झुंड को ब्लू वेव लैंथ्स फिल्टर्ड में रखा गया। हमें बेहद चौंकाने वाले परिणाम मिले।
 
उन्होंने कहा कि नीली रोशनी में रखी गईं मक्खियों के रेटिना और ब्रेन न्यूरोन्स को क्षतिग्रस्त पाया गया। मक्खियां दीवार आदि पर बैठने समेत अपनी कई स्वाभाविक क्रियाएं नहीं कर पाईं और शिशु मक्खियों की आंखें खुलने की प्रक्रिया रुक गई। हमने यह भी देखा कि मौका मिलने पर मक्खियों ने नीली रोशनी से शीघ्र अतिशीघ्र भागने की कोशिश की।
 
प्रोफसर गिइबुल्टोविक्स ने कहा कि वैसे तो हर तरह की कृत्रिम रोशनी हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक है लेकिन शोध के दौरान हमने देखा कि 'ब्लू वेव लैंथ्स' से मुक्त वातावरण के मुकाबले ब्लू वेव लैंथ्स वाले क्षेत्र में रखी गईं मक्खियों की एजिंग प्रक्रिया तेज थी। हमारे इस शोध का निष्कर्ष मनुष्यों पर भी लागू हो सकता है।
 
उन्होंने कहा कि क्यों न हम हरसंभव कोशिश करें कि ब्लू वेव लैंथ्स हमारे लिए 'मायाजाल' न बने और इस तरह के उपकरणों के लंबे इस्तेमाल से स्वयं को सुरक्षित रखने के तमाम उपायों पर अमल करें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कांवड़ यात्रा को बदनाम करने की कोशिश, CM योगी ने उपद्रवियों को दी चेतावनी

समुद्र में आग का गोला बना जहाज, 300 से ज्यादा यात्री थे सवार, रोंगटे खड़े कर देगा VIDEO

महंगा पड़ा कोल्डप्ले कॉन्सर्ट में HR मैनेजर को गले लगाना, एस्ट्रोनॉमर के CEO का इस्तीफा

संसद के मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, बिहार में SIR पर विपक्ष ने उठाए सवाल

24 कंपनियों ने जुटाए 45,000 करोड़, IPO बाजार के लिए कैसे रहे 2025 के पहले 6 माह?

सभी देखें

नवीनतम

Jagdeep Dhankhar Resigns : जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक क्‍यों दिया इस्‍तीफा, सिर्फ खराब स्वास्थ्य या वजह कुछ और

मानसून की तबाही, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन से 4 लोगों की मौत, स्कूल बंद

mumbai train blasts : 2006 मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस में सभी 12 आरोपी बरी, पीड़ितों ने कहा- न्याय की हत्या कर दी गई

Jagdeep Dhankhar : क्या है अनुच्छेद 67 (ए), जिसका उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे में किया जिक्र

हम समाचार और YouTube इंटरव्यू नहीं देखते, CJI बीआर गवई ने क्‍यों की यह टिप्‍पणी

अगला लेख