तूफानी बारिश में गुल हुई बिजली, लालटेन की रोशनी में हुआ महात्मा गांधी का ऑपरेशन

Webdunia
मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019 (23:42 IST)
पुणे। वह 1924 की जनवरी की एक अंधेरी और तूफानी रात थी जब पुणे के सूसन अस्पताल में महात्मा गांधी के अपेंडिक्स का ऑपरेशन हो रहा था। आंधी-पानी के दौरान बिजली चली गई तो ऑपरेशन के लिए फ्लैशलाइट की मदद ली गई। ऑपरेशन के बीच में इसने भी जवाब दे दिया। आखिरकार, ब्रितानी चिकित्सक ने लालटेन की रोशनी में ऑपरेशन किया।
 
इस घटना के 95 साल बीत चुके हैं। सरकारी अस्पताल के 400 वर्ग फुट के इस ऑपरेशन थियेटर को एक स्मारक में बदल दिया गया है और यह अब आमजन के लिए खुला नहीं है।

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महात्मा गांधी के जीवन की एक अहम घटना का साक्षी बने इस कमरे में महात्मा गांधी के ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल की गई एक मेज, एक ट्राली और कुछ उपकरण रखे हैं। इस कमरे में एक दुर्लभ पेंटिंग भी है जिसमें बापू के ऑपरेशन का चित्रण है।
 
‘ससून सर्वोचार रुग्णालय’ एवं बीजे मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अजय चंदनवाले ने बताया कि अस्पतालकर्मी स्मारक बनाए गए इस ऑपरेशन थिएटर में हर साल दो अक्टूबर को गांधी की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित करते है। गांधी जी की 150वीं सालगिरह पर इस बार अस्पताल ने गांधी पर निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
 
अमेरिकी पत्रकार लुइस फिशर ने अपनी किताब 'महात्मा गांधी - हिज लाइफ एंड टाइम' में इस ऑपरेशन का जिक्र किया है।
 
दरअसल, गांधी को 18 मार्च 1922 को छह साल की सजा सुनाई गई थी। उन्हें दो दिन बाद गुजरात की साबरमती जेल से विशेष ट्रेन से पुणे की येरवडा जेल स्थानांतरित कर दिया गया था।
 
फिशर की किताब के अनुसार गांधी को अपेंडिसाइटिस की गंभीर समस्या के कारण 12 जनवरी 1924 में ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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सरकार मुंबई से भारतीय चिकित्सकों का इंतजार करने को तैयार थी लेकिन आधी रात से पहले ब्रितानी सर्जन कर्नल मैडॉक ने गांधी को बताया कि उनका तत्काल ऑपरेशन करना पड़ेगा जिस पर बाद में सहमति भी बन गई।
 
जब ऑपरेशन की तैयारी की जा रही थी, गांधीजी के अनुरोध पर ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ के प्रमुख वी एस श्रीनिवास शास्त्री और मित्र डॉ. फटक को उनके अनुरोध पर बुलाया गया। उन्होंने मिलकर एक सावर्जनिक बयान जारी किया जिसमें गांधी ने कहा कि उन्होंने ऑपरेशन के लिए सहमति दी है, चिकित्सकों ने उनका भली-प्रकार उपचार किया है और कुछ भी होने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन नहीं होने चाहिए।
 
दरअसल, अस्पताल के अधिकारी और गांधी यह भली भांति जानते थे कि यदि ऑपरेशन में कुछ गड़बड़ी हुई तो भारत जल उठेगा। गांधी ने इस पर हस्ताक्षर के लिए जब कलम उठाई, तो उन्होंने कर्नल मैडॉक से मजाकिया अंदाज में कहा, 'देखो, मेरे हाथ कैसे कांप रहे हैं... आपको यह सही से करना होगा।'

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इसके जवाब में मैडॉक ने कहा कि वह पूरी ताकत लगा लेंगे। इसके बाद गांधी को क्लोरोफॉम सुंघा दी गई। जब ऑपरेशन शुरू किया गया, उस समय आंधी और वर्षा हो रही थी। ऑपरेशन के बीच में ही बिजली गुल हो गई और ऑपरेशन थिएटर में तीन नर्सों में से एक ने लालटेन पकड़ी जिसकी रोशनी में सर्जरी की गई।
 
गांधी ने सफल ऑपरेशन के लिए मैडॉक को धन्यवाद दिया। सरकार ने पांच फरवरी 1924 को गांधी की शेष सजा माफ कर दी थी। (भाषा) 

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