नई दिल्ली। महंगाई और किसानों के मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने गुरुवार को राज्यसभा से वॉकआउट किया। उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महंगाई का जिक्र करते हुए इस पर चर्चा कराने की मांग की। लेकिन उपसभापति हरिवंश ने उनकी इस मांग को स्वीकार नहीं किया और कहा कि यह समय प्रश्नकाल का है जिसमें सदस्य अपने पूरक सवाल पूछते हैं।
अपनी मांग स्वीकार नहीं किए जाने के बाद सबसे पहले कांग्रेस के सदस्यों ने वॉकआउट किया। उसके कुछ देर बाद कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी सदन से वॉकआउट किया। प्रश्नकाल में ही विपक्ष के कुछ सदस्यों ने व्यवस्था के प्रश्न के तहत कोई मुद्दा उठाने का प्रयास किया। उस समय कई सदस्य 12 सदस्यों के निलंबन सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामा कर रहे थे। लेकिन उपसभापति ने इसकी अनुमति नहीं दी और कहा कि प्रश्नकाल में आमतौर पर व्यवस्था के प्रश्न के तहत कोई मुद्दा उठाने को मंजूरी नहीं दी जाती।
राहुल का संसद परिसर में धरना, बोले सरकार डरपोक : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्यसभा के 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलम्बित किए जाने के विरोध में संसद परिसर में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन भी धरना-प्रदर्शन किया और कहा कि मोदी सरकार डरपोक है इसलिए वह किसी के साथ न्याय नहीं कर सकती।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार संसद में विपक्ष के सवालों से डरती है इसलिए वह किसी भी मुद्दे पर चर्चा कराने से भागती है। उनका कहना था कि कृषि कानून को निरस्त करने के प्रस्ताव पर सरकार ने चर्चा से बचने के लिए संसद नहीं चलने देने पर राज्यसभा में विपक्ष के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया। गांधी ने सरकार पर संसद में चर्चा करने से बचने का आरोप लगाते हुए कहा ट्वीट किया कि 'सवालों से डर, सत्य से डर, साहस से डर... जो सरकार डरे, वो अन्याय ही करे।'
संसद परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने बैठककर गांधी के नेतृत्व में धरना दे रहे अन्य सांसदों में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, केसी वेणुगोपाल, के. सुरेश सहित कई सांसद मौजूद थे। ये सभी सांसद हाथों में तख्तियां लेकर सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। इस बीच सांसदों के निलंबन के खिलाफ विपक्षी सदस्यों के हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्रवाई दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मानसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने के आरोप में वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा के सभापति ने निलंबन वापस लेने की विपक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया है। निलंबित सदस्यों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामरम करीम, कांग्रेस की फूलोदेवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय बिस्वम शामिल हैं।