पाकिस्तान की हरकतों से दांव पर सीजफायर

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 10 मई 2017 (13:43 IST)
श्रीनगर। इस साल 26 नवम्बर को अपने 14 साल पूरे करने जा रहे सीजफायर के प्रति फिर से यह सवाल उठने लगा है कि यह कब तक जारी रहेगा। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि पिछले दो सालों के अरसे में अगर पाकिस्तान ने हर रोज सीजफायर का उल्लंघन किया और अब एलओसी पर दो भारतीय जवानों के सिर काटने की घटना के बाद भारतीय सेना द्वारा एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों और तोपखानों का इस्तेमाल करने की घटनाओं के बाद एलओसी पर भयंकर युद्ध छिड़ने की आशंका प्रकट की जाने लगी है।
 
केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़े आप कहते हैं कि पिछले दो सालों से खासकर एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की ओर से गोलाबारी की घटनाओं में भयानक तेजी आई है। यह कितनी है आंकड़ों के मुताबिक, प्रतिदिन एक बार पाक सेना ने किसी न किसी सेक्टर में गोलियों तथा गोलों की बरसात करके सीजफायर का उल्लंघन किया।
 
26 नवंबर 2003 को यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान से सटी एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर सीजफायर की घोषणा की गई थी। तब से लेकर अगर आंकड़ों को देखें तो पाकिस्तानी सेना ने हर दो दिन के बाद सीजफायर का उल्लंघन कर सीजफायर को दांव पर लगा दिया। और ताजा घटनाक्रम के बाद अब इसको लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारतीय सेना ने जो आक्रामक रुख अपनाया है तो क्या सीजफायर टिक पाएगा?
 
यह बात अलग है कि सीमावासियों की दुआओं पर शंकाओं के बादल मंडरा रहे हैं। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि गर्मी का मौसम आ गया है और सीमांत पहाड़ों से बर्फ के पिघलने का समय भी आ गया है। भारतीय सेना को भी शंकाएं हैं कि पाक सेना अपने जहां रुके पड़े हजारों की तादाद में आतंकवादियों को इस ओर धकेलने की खातिर भयानक कदम उठा सकती है। भयानक कदमों की व्याख्या सीमा पर युद्ध के समान गोलाबारी या फिर लघु करगिल युद्धों को छेड़ने से की जा रही है।
 
ऐसी शंकाएं वरिष्ठ सेनाधिकारी प्रकट कर रहे हैं जो हालांकि कहते हैं कि एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी आतंकवादियों के लिए मौत साबित होगी लेकिन वे इसे भूल जाते हैं कि तारबंदी की काट भी आतंकवादियों द्वारा तलाश की जा चुकी है और सीजफायर के इन 13 सालों के भीतर तारबंदी को लांघने और घुसपैठ करने के करीब सैंकड़ों प्रयास उनके दावों के प्रति शंका जरूर प्रकट करते हैं।
 
भारत-पाक के बीच बिगड़ते संबंधों तथा जल्द ही सेना की सीमा पर पुनः वापसी होने की खबरों के बीच सीमा पर रहने वाले लोगों को लगने लगा है कि उन्हें एक बार फिर घरों से बेघर तो होना ही पड़ेगा साथ ही में युद्ध सी परिस्थिति के दौर से गुजरना पड़ेगा। नतीजतन सीमावर्ती क्षेत्रों में दहशत का आलम है। हालांकि इस माहौल को और दहशतजदा करने में पाक सेना अपनी मुख्य भूमिका निभा रही है जो संबंधों को खराब करने के इरादों से सीमा पर जबरदस्त गोलीबारी कर सीजफायर को तार-तार कर रही है।
 
ऐसे में इन खबरों ने भी परेशानी पैदा कर दी है कि भारत सरकार पाकिस्तानी खतरे से निपटने के लिए एक बार फिर अपनी सेना को सीमाओं पर तैनात कर सकता है। नतीजतन सीमांत क्षेत्रों में 13 साल पहले वापस लौटने वाले नागरिकों ने बोरिया बिस्तर बांधने की तैयारी भी आरंभ कर दी है।
 
ताजा परिस्थितियों के कारण राज्य प्रशासन भी परेशानी में है। उसकी परेशानी पलायन होने पर विस्थापितों को सहायता पहुंचाने तथा छत मुहैया करवाने की है। सात साल पहले भी लाखों लोगों द्वारा एक साथ पलायन करने के परिणामस्वरूप उसके द्वारा की गई व्यवस्थाएं जब चरमरा गईं थीं तो उसे आलोचना का सामना करना पड़ा था।
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