Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सीमा पर गोलाबारी कर रहा पाकिस्‍तान, खेती करने को राजी नहीं किसान

हमें फॉलो करें सीमा पर गोलाबारी कर रहा पाकिस्‍तान, खेती करने को राजी नहीं किसान

सुरेश एस डुग्गर

, सोमवार, 5 अक्टूबर 2020 (19:01 IST)
जम्मू। बीएसएफ ने इंटरेनशनल बार्डर पर फिलहाल हीरानगर सेक्टर में तारबंदी के आगे की 8000 कनाल के करीब भूमि पर खेती करने के लिए सीमांत किसानों को न्यौता दिया है, पर वे इसके लिए राजी नहीं हैं। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है। इलाके में पाक सेना की बढ़ती गोलाबारी उन्हें अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर कर रही है।

पिछले महीने हीरानगर सेक्टर में बीएसएफ की 19वीं बटालियन ने उपायुक्त की मौजूदगी में इस भूमि पर ट्रैक्टर चलाकर दिखाया था और उन सीमावर्ती किसानों को इस पर फसलें बौने के लिए उत्साहित किया था, जो इस भूमि के मालिक थे।

लेकिन बीएसएफ का यह प्रयास इसलिए कामयाब नहीं हो पाया क्योंकि हीरानगर सेक्टर में पाक सेना लगातार गोले दाग रही है और किसान कहते हैं कि इस भूमि पर फसलें बौने के लिए उन्हें बख्तरबंद ट्रैक्टरों की आवश्यकता है, जो उन्हें पाक गोलियों से बचा सके।पर यह सुविधा उनके पास नहीं है। बीएसएफ के पास भी गिनती के दो-तीन ऐसे ट्रैक्टर हैं जो सामरिक महत्व के कामों में लिप्त हैं। ऐसे में हालात पुनः वहीं पर आ टिके हैं।

दरअसल इंटरनेशनल बार्डर पर तारबंदी के बाद से ही 264 किमी लंबी सीमा रेखा पर कई स्थानों पर हजारों कनाल कृषि भूमि बंजर हो चुकी है। पाक सेना के डर के कारण तथा बीएसएफ की ओर से लगाई गई कुछ पाबंदियों के चलते किसान अपनी ही जमीन पर पांव नहीं रख पा रहे थे।

वर्ष 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के तहत भी तारबंदी के आगे की हजारों कनाल भूमि को सेना ने अपने कब्जे में लेकर बारूदी सुरंगें बिछाई थीं। हालांकि तीन सालों के बाद वर्ष 2005 में यह भूमि किसानों को वापस तो कर दी गई, लेकिन वह बंजर हो जाने के साथ ही पाक सेना की आंख की किरकिरी बन चुकी थी।

नतीजा सामने है। सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसे भी कई किसान हैं जिनकी पूरी की पूरी जमीन ही तारबंदी के पार है। जानकारी के लिए 264 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर वर्ष 1995 में जब तारबंदी का कार्य आरंभ हुआ तब पाकी विरोध के चलते बीएसएफ जीरो लाइन तक तारबंदी को नहीं लगा पाई थी।

नतीजतन कई स्थानों पर उसे जीरो लाइन से आधा किमी पीछे और कई स्थानों पर जीरो लाइन से 3 किमी पीछे भी तारबंदी करनी पड़ी थी। यही कारण था कि किसानों की हजारों कनाल कृषि भूमि तारबंदी के पार चली गई, जिसके लिए न आज तक कोई मुआवजा मिला है और न ही वे उस पर खेती कर पा रहे हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

'छोटे सचिन तेंदुलकर' ने लगाया बड़ा शॉट, सोशल मीडिया पर Video सुर्खियों में