कश्मीर में पाकिस्तानी और इस्लामिक चैनलों पर लगा प्रतिबंध

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 18 जुलाई 2018 (16:34 IST)
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल एनएन वोहरा आक्रामक मूड में हैं। पहले उन्होंने आतंकी गतिविधियों और पत्थरबाजी को बढ़ावा देने वाले व्हाट्सएप ग्रुपों की नकेल कसी थी तो अब कश्मीर में पाकिस्तानी व इस्लामिक टीवी चैनलों को प्रतिबंधित कर दिया है। वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि राज्य में इस्लामिक और पाकिस्तानी टीवी चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाई गई हो।
 
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित अशांति पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने कथित रूप से घाटी के केबल ऑपरेटरों से 30 पाकिस्तानी और इस्लामिक चैनलों को बंद करने का आदेश दिया है। गृह विभाग की ओर से जारी निर्देशों में इन चैनलों को प्रतिबंधित करार दिया गया है। विभाग ने कहा कि ये चैनल शांति और सद्भाव के लिए खतरा हैं।
 
गृह विभाग के इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि केबल ऑपरेटर कल बैठक करेंगे और ताजा घटनाक्रम पर चर्चा करेंगे। उनका कहना है कि इन चैनलों को बहुत से लोग देखते हैं, इसलिए राज्य सरकार के फैसले से उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
 
इस आशय का एक आदेश अतिरिक्त जिलायुक्त श्रीनगर ने गत 12 जुलाई को जारी करते हुए श्रीनगर में विभिन्न केबल ऑपरेटरों को भेजा है। इसमें केबल ऑपरेटरों पर आरोप लगाया गया है कि वह प्रतिबंधित निजी सैटेलाइट चैनलों का प्रसारण कर रहे हैं।
 
इसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर सरकार के गृह विभाग ने अपने एक पत्र पीएस /होम/2018-60/ दिनांक 2 जुलाई 2018 के मुताबिक आप उन निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों का प्रसारण कर रहे हैं जो प्रतिबंधित हैं और जिनके प्रसारण की अनुमति नहीं है, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि जनहित में और शांति व सौहार्द का माहौल बनाए रखने के लिए आप सभी प्रतिबंधित चैनलों (वह चैनल जिनके प्रसारण की केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से अनुमति नहीं है) का प्रसारण रोकें।
 
इस आदेश में आगे कहा है कि केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमन अधिनियम 1995 की धारा 19 के तहत आपको तीन दिनों के भीतर सभी प्रतिबंधित और ऐसे सभी चैनलों का प्रसारण बंद करने को कहा जाता है, जिनके प्रसारण की अनुमति नहीं है। केबल ऑपरेटर को इस संदर्भ में नोटरी द्वारा सत्यापित एक हलफनामा भी अतिरिक्त जिलायुक्त श्रीनगर के कार्यालय में दाखिल करने को कहा गया है।
 
इससे पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सुरक्षा एजेंसियों की छवि बिगाड़ने और आतंकियों के लिए सहानुभूति बटोरने वाले लोगों पर शिकंजा कसते हुए पुलिस ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में 21 व्हाट्‍सएप ग्रुप्स के संचालकों के खिलाफ नोटिस जारी किया है।
 
किश्तवाड़ के वरिष्ठ अधीक्षक अबरार चौधरी ने बताया कि पुलिस ने पिछले तीन महीने में कुछ संदिग्ध व्हाट्‍सएप ग्रुप्स की पड़ताल करने के बाद अब इन सभी के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। एसएसपी ने कहा कि पुलिस ने व्हाट्‍सएप समेत अलग-अलग सोशल मीडिया साइट्स पर ऐसे लोगों की पहचान की थी, जिसकी रिपोर्ट किश्तवाड़ के जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी गई।
 
रिपोर्ट मिलने के बाद किश्तवाड़ के जिला मजिस्ट्रेट अंग्रेज सिंह राणा ने 29 जून को एक आदेश जारी कर व्हाट्‍सएप समूहों के एडमिन जैसे सोशल मीडिया समूहों के यूजर्स से 10 दिन के अंदर प्रशासन से अनुमति लेने के निर्देश दिए गए थे और साथ ही ऐसा न करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी।
 
ऐसे ठोस कदमों के बाद अब यह भी कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर जैसे अशांत क्षेत्रों में व्हाट्‍सएप कॉलिंग सर्विसेज को ब्लॉक कर सकती है। ऐसी जानकारी मिली है कि आतंकी सीमा पार बैठे अपने आकाओं से व्हाट्‍सएप कॉलिंग सर्विसेज के जरिए लगातार संपर्क में रहते हैं।


अधिकारियों ने बताया कि ऐसे में सरकार जल्द ही इस सेवा को ब्लॉक करने की व्यावहारिकता की जांच करेगी। याद रहे हाल ही में गिरफ्तार किए गए 2016 में नगरोटा आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस को जानकारी दी है कि वे व्हाट्‍सएप कॉल के जरिए सीधे सीमा पार बैठे अपने हैंडलर्स से संपर्क में थे और उनसे निर्देश ले रहे थे।

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