संसद : 'नोटबंदी' की भेंट चढ़ सकता है तीसरा हफ्ता

Webdunia
रविवार, 27 नवंबर 2016 (19:57 IST)
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में नोटबंदी को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध के कारण सत्र का तीसरा हफ्ता भी इस मुद्दे की भेंट चढ़ जाने की संभावना है। नोटबंदी पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी की मांग को लेकर अड़े विपक्ष के हंगामे के कारण शीतकालीन सत्र के दूसरे हफ्ते में विधायी कामकाज नहीं हो सका। 
हालांकि प्रधानमंत्री 24 नवंबर को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान मौजूद थे लेकिन भोजनावकाश के बाद उनकी गैरमौजूदगी से विपक्ष फिर भड़क गया और हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष की मांग थी कि प्रधानमंत्री को नोटबंदी पर पूरी चर्चा के दौरान मौजूद रहना चाहिए।
 
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि प्रधानमंत्री को संसद में आना चाहिए। उनके पास पॉप संगीत कार्यक्रम में शामिल होने के लिए समय है लेकिन संसद में आने के लिए नहीं है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना था कि नोटबंदी की योजना की घोषणा प्रधानमंत्री ने की है इसलिए उन्हें इस मुद्दे पर पूरी चर्चा के दौरान मौजूद रहना चाहिए।
 
इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला तेज करने की मुहिम के तहत विपक्ष ने शनिवार को जन आक्रोश दिवस मनाने का ऐलान किया है। विपक्ष का कहना है कि इस नीति से देश में आर्थिक आपातकाल और वित्तीय अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की मुखालफत करने के लिए विरोध मार्च की योजना बनाई है। कांग्रेस मंडी हाउस से संसद भवन तक जन आक्रोश मार्च करेगी। 
 
संसद में नोटबंदी पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री की मौजूदगी की विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए सरकार ने कहा था कि संसद में पूरी चर्चा के दौरान उपस्थित रहना प्रधानमंत्री के लिए संभव नहीं है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया था कि प्रधानमंत्री चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। जेटली ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया था। विपक्ष के अपनी मांग पर अड़े रहने के कारण सत्र के बीते दूसरे हफ्ते के अंतिम दिन शुक्रवार को राज्यसभा में कोई चर्चा नहीं हो सकी। 
 
नोटबंदी का फैसला बिना तैयारी के लागू करने के विपक्ष के आरोप के जवाब में मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा कि नोटबंदी को लेकर कुछ लोगों की नाराजगी इसलिए है, क्योंकि उन्हें तैयारी का मौका नहीं मिल सका। विपक्ष ने प्रधानमंत्री के इस बयान का भी विरोध किया और उनसे माफी मांगने की मांग की। 
 
विपक्ष नोटबंदी के कारण देशभर में जान गंवाने लोगों को संसद में श्रद्धांजलि दिए जाने की भी मांग कर रहा है। वह उन रिपोर्टों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की भी मांग कर रहा है जिनमें कहा जा रहा है कि भाजपा के कुछ नेताओं को नोटबंदी की सूचना पहले ही दी जा चुकी थी जिससे उन्हें कालेधन को सफेद करने का समय मिल गया। 
 
सरकार का कहना है कि नोटबंदी से आम आदमी को फायदा होगा तथा इससे कालेधन और जाली नोट की समस्या से निजात मिल सकेगी। सत्तापक्ष और विपक्ष के अपने -अपने रुख पर अड़े रहने के कारण सत्र के तीसरे हफ्ते के भी हंगामे की भेंट चढ़ जाने की संभावना है। (वार्ता)
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